Wed, October 4, 2023

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Krishna Janmashtami 2023: आज और कल मनाई जाएगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत रखने का सही समय

Krishna Janmashtami 2023 Right Time, Date And Shubh Mahurat
Krishna Janmashtami 2023 Right Time, Date And Shubh Mahurat
Krishna Janmashtami 2023- Right Time, Date And Shubh Mahurat

भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर पूरे देश भर में धूम है। कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए ब्रज नगरी में लाखों श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। मथुरा-वृंदावन के साथ देश भर के मंदिरों में जन्माष्टमी को लेकर खूब सजावट की गई है। इस बार भी कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। इस वर्ष अष्टमी तिथि 6 और 7 सितंबर दोनों ही दिन पड़ रही है। वैदिक पंचांग के अनुसार 6 सितंबर को अष्टमी तिथि दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू हो जाएगी और समापन 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी 7 सितंबर को वहीं तिथि और नक्षत्रों के संयोग से जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाने की सलाह दी जा रही है। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार का विशेष महत्व होता है। पूरे देश में जन्माष्टमी के पर्व को विशेष रूप से मनाया जाता है। कृष्ण मंदिरों को भारी भीड़ होती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। प्रत्येक वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर कई लोगों में असमंजस की स्थिति होती है। यह सवाल भी उठता है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 2 दिन क्यों मनाया जाता है? बता दें की स्मार्त संप्रदाय के अनुयायी जन्माष्टमी पर्व के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण की उपासना करते हैं। वहीं वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी जन्माष्टमी पूजा अगले दिन करते हैं। इसलिए दो दिन जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 06 सितंबर दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी और 07 सितंबर शाम 04 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। वहीं इस दिन रोहिणी नक्षत्र 06 सितंबर सुबह 09 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और 07 सितंबर सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। ऐसे में जो लोग रोहिणी नक्षत्र में पूजा-पाठ करेंगे, वह कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 06 सितंबर 2023, बुधवार के दिन रखेंगे। वहीं वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी 07 सितंबर गुरुवार के दिन कृष्ण जन्माष्टमी व्रत रखेंगे। गृहस्थ जीवन जीवन वाले 6 सितंबर और वैष्णव संप्रदाय 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे। बता दें कि इस बार भगवान श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि यानी 12 बजे रात को मथुरा में हुआ था। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार हर साल पूरे देश में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रती रहकर पूरे नियम और संयम से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू ग्रथों के अनुसार, कंस के बढ़ रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने जन्माष्टमी के दिन कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था।

मथुरा-वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात अलग दिखाई देती है रौनक:

Happy Krishna Janmashtami 2023

बता दें कि मथुरा, गोकुल और श्री कृष्ण से जुड़े बड़े-बड़े स्थल 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे। वैष्णव संस्थान गोकुलोत्सव या नन्दोत्सव मनाते हैं यानि नंद के घर लल्ला भयो है। जाहिर है कि 7 सितंबर के दिन लल्ला के होने की सूचना तभी दी जा सकती है, जब लल्ला आज रात पैदा हो चुके हों। ऐसे में वैष्णव मंदिर या कृष्ण से जुड़े मंदिर गुरुवार के दिन जन्माष्टमी मनाएंगे। लेकिन गृहस्थ लोग उससे कंफ्यूजन न हो उन्हें अपनी जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर के दिन ही करना चाहिए और व्रत का पारण 7 सितंबर के दिन करना चाहिए। मथुरा-वृंदावन में जन्‍माष्‍टमी की रौनक कुछ और ही होती है क्‍योंकि ये जगह श्रीकृष्‍ण के जन्‍म से लेकर उनकी बचपन की तमाम लीलाओं की साक्षी है। यहां के लोगों के लिए श्रीकृष्‍ण सिर्फ भगवान नहीं हैं, बल्कि उनके ‘लल्‍ला’ भी हैं, जिसे प्‍यार से वो कान्‍हा, लाला, कन्‍हैया जैसे तमाम नामों से पुकारते हैं।

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हर साल जन्‍माष्‍टमी के मौके पर यहां के सभी मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है, कई तरह के खास आयोजन होते हैं। इस मौके पर बांके बिहारी के लिए खास पोशाक तैयार की गई है मथुरा में श्रीकृष्‍ण की जन्‍मभूमि में भगवान के जन्‍मोत्‍सव को देखने के लिए हर साल दूर-दूर से भक्‍त आते हैं। टीवी पर इस जन्‍मोत्‍सव का सीधा प्रसारण दिखाया जाता है। वहीं वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन यहां श्रद्धालुओं का भीड़ के चलते पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती क्‍योंकि इस दिन यहां श्रीकृष्‍ण की मंगला आरती होती है, जो सिर्फ साल में एक बार जन्‍माष्‍टमी के दिन ही की जाती है। भगवान के भक्‍त इस आरती में हिस्‍सा लेने के लिए उत्‍सुक रहते हैं। हर साल श्रीकृष्ण के जन्म के बाद रात को 1 बजकर 55 मिनट पर मंगला आरती होती है। हालांकि कई बार ग्रह व नक्षत्र देखकर समय में बदलाव भी किया जाता है। देश-विदेश के भक्‍त इस आरती में शामिल होते हैं।

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