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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित टिप्पणी की वजह से सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। कुछ समय पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस और उत्तराखंड में स्थित बाबा बद्रीनाथ धाम को लेकर विवादित बयान दिया था। अब एक बार फिर सपा नेता ने हिंदू धर्म पर ही सवाल खड़े किए हैं। इसके बाद एक बार फिर सियासी बवाल शुरू हो गया है। एक सभा में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, हिंदू कोई धर्म नहीं है। यह धोखा है। ब्राह्मण धर्म को ही हिंदू धर्म कहा जाने लगा है। मौर्य ने कहा कि ब्राह्मणवाद की जड़ें काफी गहरी हैं और ब्राह्मण धर्म को ही हिंदू धर्म कहा जा रहा है। दरअसल, हिंदू धर्म पिछड़ों, आदिवासियों और दलितों को मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है। हिंदू अगर एक धर्म होता तो वहां दलितों और पिछड़ों का भी सम्मान होता। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया है। इसके अलावा भी समाजवादी पार्टी के नेता ने पूर्व राष्ट्रपति पर भी विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि हम लोग भले ही पागल होकर के हिंदू धर्म के लिए मरें पर ब्राह्मणवादी व्यवस्था के चालाक लोग हमें आदिवासी मानते हैं। ऐसा ही व्यवहार भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ हुआ। दलित होने के कारण उन्हें मंदिर में जाने से रोका गया। इसी तरह अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री पद से हटने पर मुख्यमंत्री आवास और कालिदास मार्ग को गौमूत्र से पवित्र किया गया था। क्योंकि वो पिछड़े समाज से आते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा आंबेडकर और ज्योतिबा फुले जैसे हमारे महापुरुषों ने एक लंबा संघर्ष किया जिसका नतीजा है कि आज हजारों साल की गुलामी से निजात पाकर हम सम्मान और स्वाभिमान के रास्ते पर चल पड़े है। स्वामी प्रसाद मौर्य का ट्वीट उस समय आया है जब सपा सांसद डिंपल यादव ने खुद को हिंदू बताया है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सनातन धर्म है और सनातम धर्म में कोई दुश्मन नहीं होता’। वहीं इसके विपरीत स्वामी प्रसाद मौर्य हिंदू धर्म पर ही सवाल उठा रहे हैं और इसे ब्राह्मण धर्म बता रहे हैं।स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत फिर गरमा गई है। इस पर भाजपा प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने कहा- स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा किया गया यह ट्वीट सिर्फ समाज में द्वेष पैदा करने के लिए किया गया है। राजनीति का बहुत ही गिरा हुआ स्तर है। जहां तक बात ब्राह्मण समाज की रही तो आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के बारे में दुनिया को अवगत कराया। इसमें ब्राह्मणों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य सिर्फ इस तरह के बयान देकर अगड़ा बनाम पिछड़ा करना चाहते हैं। बता दें कि मौर्य ने 2 महीने पहले जून में रामचरितमानस का विवादित बयान दिया था। सपा नेता करने कहा था, कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। उसके बाद सांसद मौर्य ने चार धाम में एक बद्रीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताया था। वहीं चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने बद्रीनाथ धाम को लेकर सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का कड़ा विरोध किया था । पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित ओबीसी सम्मेलन के दौरान एक शख्स ने उन पर जूता भी उछाल दिया था, आरोपी शख्स वकील की ड्रेस में आया था, हालांकि बाद में उनके समर्थकों ने उसके साथ बुरी तरह मारपीट की थी।
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