
JOIN OUR WHATSAPP GROUP
कहते हैं मां बनना दुनिया का सबसे खुबसूरत और अनोखा अनुभव है। इस अनुभव को हर महिला अपनी जिंदगी में एक बार अवश्य चाहती है और यह सदियों से चली आ रही है। लेकिन कुछ स्वास्थ्य और शारीरिक परेशानियों की वजह से कई महिलाएं मां बनने में सक्षम नहीं हो पाती हैं। लेकिन मेडिकल साइंस महिला के मां ना बनने की इस परेशानी का इलाज वर्षों पहले ही निकाल लिया था।
लंबी स्टडी और अध्ययनों के बाद गर्भधारण की कृत्रिम प्रक्रिया ढूंढ निकाल ली गई थी। इस प्रक्रिया को आईवीएफ कहा जाता है।
विश्व भर में आईवीएफ का चलन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। किसी कारण से अगर महिला मां नहीं बन पाती है तो यह प्रक्रिया उनके लिए तकनीक वरदान है। बांझपन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए इस तकनीक के बारे में पीड़ितों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष दुनियाभर में विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं कब और क्यों मनाया जाता है आईवीएफ दिवस।

क्या है आईवीएफ का पूरा नाम, किस दिन मनाया जाता है ?
यह दिवस आईवीएफ का अर्थ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है। इसे आम बोलचाल में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। यह प्राकृतिक तौर पर गर्भधारण में विफल हुए दंपतियों के लिए गर्भधारण का कृत्रिम माध्यम होता है।
कब मनाया जाता है आईवीएफ दिवस?
प्रतिवर्ष 25 जुलाई को आईवीएफ दिवस वैश्विक स्तर पर मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1978 से हुई, जब आईवीएफ के जरिए पहले बच्चे का जन्म हुआ। तब से हर साल 25 जुलाई को विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस मनाया जाने लगा।
विश्व भ्रूण विज्ञानी दिवस मनाने का उद्देश्य:
आज के इस दिन पर उन भ्रूण वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया जाता है, जो जिंदगी बचाने के साथ ही जीवन देने का कार्य करते हैं। ऐसे दंपत्ति जो गर्भधारण करने की उम्मीद खो चुके हैं, उन्हें माता पिता बनने की एक नई राह दिखाने के उद्देश्य से आईवीएफ दिवस मनाते हैं।
इतिहास:
सबसे पहले इस लेस्ली ब्राउन नाम की महिला ने डॉक्टर पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स की मदद से 10 नवंबर 1977 को आईवीएफ प्रक्रिया शुरू की और 25 जुलाई 1978 को एक बच्चे को जन्म दिया था।