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भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को अब इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड IMF का सहारा मिल गया है. आखिरकार पाकिस्तान की हालत पर तरस खाकर IMF ने 3 अरब डॉलर का फंड कर्ज के तौर पर पाकिस्तान को देने का प्रपोजल स्वीकार कर लिया है. इस प्रपोजल की मंजूरी 30 जून को दी गयी और इसी दिन IMF का प्रोग्राम भी खत्म हो रहा था. इसका मतलब अगर आखरी दिन के चंद घंटे पहले तक आईएमएफ इस प्रपोजल को मंजूरी नहीं देता तो पाकिस्तान पूरी तरीके से दिवालिया हो चुका होता.

IMF ने पाकिस्तान को सशर्त दिया लोन: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर देकर दिवालिया होने से तो बचा लिया है लेकिन इस कर्ज के साथ कई सारी शर्ते भी अपनी मनवाई है. हालांकि की शहबाज शरीफ की सरकार ने इसे अबतक अपने देश से गुप्त रखा हुआ है.
सब्सिडी खत्म करनी होगी: IMF ने जो पाकिस्तान सरकार के साथ शर्त रखी है उसका पहला हिस्सा यह है कि पाकिस्तान में हर प्रकार की सब्सिडी को खत्म करना होगा यानी अब तक डीजल पेट्रोल और इलेक्ट्रिसिटी पर जो भी सब्सिडी पाकिस्तान के नागरिकों को मिलती थी अब वह खत्म हो जाएगी सब्सिडी खत्म होने से पाकिस्तान में महंगाई दर और भी ज्यादा बढ़ जाएगी और अक्टूबर-नवंबर में जनरल इलेक्शन भी पाकिस्तान में होने हैं ऐसे में सरकार अगर हर प्रकार की सब्सिडी को खत्म करती है तो उसका सत्ता में वापस आना बेहद मुश्किल हो जाएगा. सब्सिडी खत्म करने के साथ-साथ पेट्रोल और डीजल के दामों में 30 फीसदी तक बढ़ोतरी और टैक्स कलेक्शन भी 10 फीसदी तक बढ़ाना होगा.
नवम्बर तक चुकाने होंगे 23 अरब डॉलर:

पाकिस्तान को IMF के 3 अरब डॉलर कर्ज के बदले इसी साल नवंबर माह में कुल 23 अरब डॉलर लौटाने पड़ेंगे हम आपको बता दें कि पाकिस्तान में अक्टूबर और नवंबर माह के बीच में जनरल इलेक्शन होने हैं जिसमें पाकिस्तान की आवाज एक बार फिर से अपने मताधिकार का प्रयोग करके सरकार सुनेगी ऐसे में अगर IMF की शर्तें पाकिस्तान की हुकूमत पूरी करती है तो उसका सत्ता में वापसी का सपना सपना ही रह जाएगा.