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(कई खुलासे किए)
रेसलर साक्षी मलिक और पति सत्यव्रत कादियान ने शनिवार को सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करते हुए कई खुलासे किए हैं। साक्षी मलिक ने कहा कि दिल्ली में आंदोलन करने के लिए हमें भाजपा नेताओं बबीता फोगाट और तीर्थ राणा ने कहा था। साक्षी ने कहा कि इन दोनों नेताओं ने उन्हें कहा था कि बृजभूषण के खिलाफ अपनी आवाज उठाओ। यही नहीं, जंतर-मंतर पर धरने की परमिशन भी बबीता फोगाट और तीर्थ राणा ने ही दिलाई थी। साक्षी ने परमिशन लेटर भी दिखाया। साक्षी मलिक का यह चौंकाने वाला दावा है क्योंकि बृजभूषण समेत भाजपा ये कहती रही कि धरने के पीछे हरियाणा से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा हैं। वहीं बबीता फोगाट खुद भी रेसलर्स के धरने में राजनीति होने की बात कहती रही। वहीं तीर्थ राणा भी हरियाणा के सोनीपत से ही भाजपा के जिला अध्यक्ष हैं। साक्षी ने ये भी कहा कि हरिद्वार में इस तरह का माहौल बना दिया गया कि अगर हम मेडल बहाने जाते तो हिंसा होने का खतरा था। साक्षी मलिक ने बृजभूषण सिंह पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि नाबालिग महिला पहलवान के परिवार को डराया और धमकाया गया। जिसके बाद उसने बयान बदल लिया साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान ने वीडियो जारी कर कहा कि कुश्ती से जुड़े 90 फीसदी लोगों को पता है कि पिछले 12 साल से महिला पहलवानों से इस तरह की छेड़छाड़ की जा रही थी। साक्षी मलिक ने कहा कि हम पर आरोप था कि हम अभी तक चुप क्यों थे। इसके कई कारण हैं। पहला कारण तो ये है कि हम पहलवानों में एकता की कमी थी। उन्होंने कहा कि कुश्ती में आने वाले खिलाड़ी गरीब परिवारों से होते हैं। उनमें पावरफुल आदमी के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं होती। साक्षी ने कहा कि जब इंडिया के टॉप रेसलर्स ने आवाज उठाई तो उन्हें किन हालातों से गुजरना पड़ा ये सभी ने देखा। विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में तमाम पहलवानों ने जनवरी में बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था। पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। तब खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवानों का धरना खत्म हो गया था। इसके बाद 23 अप्रैल को पहलवान दोबारा जंतर मंतर पर धरने पर बैठे। इसके साथ ही 7 महिला पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दिल्ली पुलिस से की थी। पुलिस ने महिला पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। पहलवानों ने 23 अप्रैल से 28 मई तक जंतर मंतर पर धरना दिया था। पहलवानों ने 28 मई को जंतर मंतर से नई संसद तक मार्च निकाला था। इसी दिन पीएम मोदी नई संसद का उद्घाटन कर रहे थे। ऐसे में पुलिस ने मार्च की अनुमति नहीं दी थी। इसके बावजूद जब पहलवानों ने मार्च निकालने की कोशिश की थी, तो पुलिस के साथ हाथापाई और धक्का मुक्की हुई थी। इसके बाद पुलिस ने 28 मई को पुलिस ने पहलवानों को धरना स्थल से हटा दिया था।