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(हाईकोर्ट में दी याचिका)
एक दिन पहले 16 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हुई प्रभास और कृति सेनन स्टारर फिल्म आदिपुरुष अपने डायलॉग संवाद की वजह से विवादों में आ गई है। जहां पहले नेपाल में इस फिल्म के एक डायलॉग (सीता भारत की बेटी है) पर आपत्ति जताई गई थी। वहीं, अब हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है। और मांग की है कि इसे कोई सर्टिफिटेक न दिया जाए। फिल्म को बैन करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसे हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने लगाया है। इसमें फिल्म के कई सीन, डायलॉग्स और किरदारों को हटाने की मांग की गई है। विष्णु गुप्ता ने शुक्रवार को जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने रामायण, भगवान राम और देश की संस्कृति का मजाक बनाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से ‘आदिपुरुष’ में रावण, राम, सीता और हनुमान के कई अपमानजनक सीन्स भी हटाने के लिए आदेश देने की मांग की है। अध्यक्ष का आरोप है कि जैसे फिल्म में दिखाया गया है, वो धार्मिक चरित्रों के एकदम उलट है।
सोशल मीडिया पर फिल्म का बायकॉट ट्रेंड हो रहा है। लोगों का कहना है कि फिल्म में रामायण को मॉडर्न तरीके से दिखाया गया है, जो इस ऐतिहासिक पौराणिक कथा की मर्यादा को तार-तार कर रहा है। ‘कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की। तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया। जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा उनकी लंका लगा देंगे। आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं। मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है’। इन डायलॉग्स को लिखने वाले राइटर मनोज मुंतशिर को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। लोग उनसे सवाल कर रहे हैं कि ऐसे संवाद रामायण के किस वर्जन में लिखे हैं। क्या रामायण में ऐसे शब्दों का कहीं उल्लेख है। याचिका में लिखा है कि इस फिल्म ने गलत तरह से पात्रों को दिखाकर हिंदू समुदाय की भावना को आहत किया है। इस मामले में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय से भी कॉन्टैक्ट किया गया था लेकिन उनकी तरफ से आज तक कोई जवाब नहीं आया है। महार्षि वालमिकी और संत तुलसीदास की लिखी गई रामायण में जिस तरह से सभी पात्रों को दर्शाया गया है। उस हिसाब से फिल्म के सभी कैरेक्टर्स मेल नहीं खाते हैं। इतना ही नहीं, इसमें जिस तरह की भाषा बोली गई है, वो भी त्रेता युग में कभी इस्तेमाल नहीं की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि हिंदुओं का भगवान राम, सीता, और हनुमान की छवि के बारे में एक विशेष दृष्टिकोण है और फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं द्वारा उनकी दिव्य छवि में कोई भी बदलाव/छेड़छाड़ उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसलिए करीब 600-700 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म को बैन करने की मांग की जा रही है। इसे सिनेमाघरों में न दिखाने और इसे सर्टिफिटेक न देखने की भी अपील, हिंदू सेना की तरफ से की गई है।