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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सियासत अब तेज हो गयी है. हर राजनीति दल अपने अपने गुना गणित के आधार पर चुनावी समीकरण को फिट करने में जुटी हुई है. जहां एक तरफ सत्ताधारी पार्टी ‘टिफिन पर चर्चा’ 9 साल बेमिसाल, और महाजनसंपर्क अभियान के तहत चुनावी प्रचार में जुट चुकी है तो वही दूसरे राजनीतिक दल भी मिशन 2024 के लिए
एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है. जहां एक तरफ सपा जनजागरण अभियान, कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर से अपने चुनावी हथियार मजबूत कर रही है तो वही बसपा मिशन गांव चलो अभियान से वोटर्स को पार्टी की विचारधारा से जोड़ने में लगी हुई है. दूसरी तरफ केंद्रीय स्तर की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस हौले हौले से परग डाल रही है. वही सियासी गलियारों से यह खबर भी निकल कर आ रही है कि आम चुनाव और बाकी राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस- बसपा से हाथ मिला सकती है.
1996 में एक साथ लड़ा था चुनाव: कांग्रेस और बसपा का गठबंधन साल 1996 में भी हुआ था जब इन दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था उस समय काशीराम बसपा के मुखिया हुआ करते थे और काशीराम ने बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को फार्मूले से ज्यादा सीट दी थी हालांकि कांग्रेस कुल 35 सीटों पर ही सिमट गई थी. कांग्रेस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पहले से चाहते थे कि वह बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़े क्योंकि कई जगहों पर बसपा की वजह से उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी. अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए राहुल गांधी ने भी बसपा को अप्रोच किया था लेकिन बसपा सुप्रीमो ने राहुल गांधी के इस अप्रोच को सिरे से नकार दिया था.
दलित वोटर्स पर है दोनों की ही निगाहे:
मिशन 2024 के लिए कांग्रेस और बसपा दोनों ही दलित वोटर्स की तरफ बड़े ही ध्यान से देख रही हैं जहां एक तरफ दलित वोटर्स बसपा के पूर्व वोटर माने जाते हैं और सुबह में इनकी आबादी लगभग 22 फ़ीसदी के करीब है ऐसे में इन वोटर्स को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम सभी राजनीतिक दल इस आम चुनाव में कर रहे हैं. हालांकि बसपा के कोर वोटर्स 2017 चुनाव के बाद से ही छिटकते गए और बसपा का वोट प्रतिशत 22 से गिरकर 12.7 फीसदी तक रह गया.
दोनों को है दोनों की जरूरत: कांग्रेस और बसपा दोनों ने भले ही अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ने की बात कही हो लेकिन दोनों यह भली बात जानते हैं कि लोकसभा के इस चुनाव में पार पाना उनके अकेले की बस की बात नहीं होगी. आम चुनाव के अलावा छत्तीसगढ़ राजस्थान मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं जहां बहुजन समाजवादी पार्टी भी अपनी सक्रियता दर्ज करा रही है ऐसे में कांग्रेस और बसपा आम चुनाव के साथ-साथ इन तीनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं बसपा इसके पहले इन तीनों ही राज्यों से चुनाव लड़ चुकी है और एक जमाने में इसकी इन तीनों राज्यों में ठीक ठाक वोट प्रतिशत भी रहा है इस बार राजस्थान के चुनाव में बसपा के छह विधायक जीत कर आए थे लेकिन सभी ने बसपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. अगर इन दोनों ही पार्टियों का गठबंधन होता है तो यह आम चुनाव काफी इंटरेस्टिंग होने वाला है.