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महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों से शुरू हुआ नया सियासी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस विवाद में कई राजनीतिक दलों के नेता एक दूसरे पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे हैं। भाजपा, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव) और शिवसेना (शिंदे) गुट समाजवादी पार्टी के साथ एआईएमआईएम समेत कई राजनीतिक दलों के नेता आपस में भिड़ गए हैं। इस नए सियासी विवाद की वजह है मुगल शासक औरंगजेब। औरंगजेब पर महाराष्ट्र के अहमदनगर से शुरू हुआ विवाद कोल्हापुर पहुंचा और फिर इसने नेताओं को एक-दूसरे पर हमला बोलने का मौका दे दिया। हिंदुस्तान पर राज करने वाले औरंगजेब और मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की अदावत इतिहास में दर्ज है। उन्हीं शिवाजी की धरती कोल्हापुर में औरंगजेब पर एक नया विवाद शुरू हो गया है।
"Maharashtra me Aurangzeb ki Aulanden Paida ho gayi hain, Unhe shant kar denge"
— Mr Sinha (@MrSinha_) June 7, 2023
Just wow! Great to see Devendra bhau openly talking in such an aggressive language & calling out IsIamists..#Kolhapur pic.twitter.com/OyuEs8niuV
कोल्हापुर में हुई हिंसा पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि ‘देश में औरंगजेब की औलादें’ पैदा हो गई हैं। फिर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि ‘महाराष्ट्र की हिंसा संस्कृति’ की नहीं है। पवार के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता एवं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नीलेश राणे ने कहा कि ‘शरद पवार औरंगजेब के अवतार हैं’। कुल मिलाकर औरंगजेब पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। औलादों की लड़ाई’ में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी भी उतर गए।
#WATCH | Hyderabad, Telangana | "Maharashtra's Home Minister Devendra Fadnavis said “Aurangzeb ke aulaad”. Do you know everything? I didn't know you (Devendra Fadnavis) were such an expert. Then call out Godse's & Apte’s offspring, who are they?", says AIMIM chief Asaduddin… pic.twitter.com/vrnCH7g4eq
— ANI (@ANI) June 9, 2023
उन्होंने पूछा कि ‘गोडसे की औलादों’ को क्या कहोगे? एआईएमआईएम नेता के इस बयान पर भाजपा नेता राम कदम ने ओवैसी को ‘पाकिस्तान की औलाद’ बता दिया। जाहिर है कि औरंगजेब पर सियासत गर्म हो गई है। औरंगजेब को एक अत्याचारी, कट्टर, क्रूर एवं तानाशाह शासक माना जाता है। इस सियासी विवाद से पहले आइए समझ लेते है कि आखिर इस समय औरंगजेब का नाम चर्चा में क्यों है? महाराष्ट्र के कोल्हापुर में कुछ युवकों ने अपने वॉट्सऐप स्टेटस पर औरंगजेब की तस्वीर लगा दी। इसके बाद से ही माहौल गरमा गया। हिंदू संगठनों ने 2 दिन पहले बुधवार को कोल्हापुर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर कार्यकर्ताओं को इकट्ठा कर प्रदर्शन किया। इस वाट्सऐप स्टेटस को डालने वाले तीनों नाबालिग युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई, लेकिन संगठनों की मांग है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। जमकर पत्थरबाजी और दुकानों में तोड़फोड़ के बीच पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज किया। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस की टीम गश्त कर रही हैं। इस मामले पर खुद डीजीपी भी नजर बनाए हुए है। बता दें कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में अहमदनगर का नाम बदलकर ‘अहिल्यादेवी होल्कर नगर’ कर दिया था। अहिल्याबाई होल्कर की 298वीं जयंती से जुड़ी सभा में सीएम ने यह एलान किया था। इससे पहले महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया था और उस्मानाबाद का नाम चेंज कर धाराशिव किया था।
मुगल साम्राज्य का छठा शासक औरंगजेब को हिंदुओं पर अत्याचार और धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता है-

मुगल साम्राज्य का छठा शासक औरंगजेब मुगल सम्राट शाहजहां के तीसरे पुत्र था। औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर, 1618 को दोहाद में अपने दादा जहांगीर के शासनकाल में हुआ था। औरंगजेब का असली नाम मोहिउद्दीन मोहम्मद था। छठे मुगल शासक के रूप में अपने पिता शाहजहां को कैद करने के बाद वह 1658 में दिल्ली की गद्दी पर बैठा। औरंगजेब की मौत साल 1707 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई और उनके पार्थिव शरीर को औरंगाबाद के खुल्दाबाद में दफनाया गया। औरंगजेब को एक अत्याचारी, कट्टर, क्रूर एवं तानाशाह शासक माना जाता है। इतिहासकारों एवं अलग-अलग रिपोर्टों में बताया गया है कि उसने हिंदुओं पर जुल्म किए और उन्हें अपमानित करने के लिए कई सारे फैसले लिए।इतिहासकारों का कहना है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुस्तान की जनता पर बेहद अत्याचार ढाए। अपने राज में उसने हिंदुओं के लिए कठोर नियम बनाए। हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर टैक्स लगा दिया। इसी के साथ उसने हिंदू रीति-रिवाज से मनाए जाने वाले त्योहारों पर प्रतिबंध लगा दिया। हिंदुओं पर जजिया टैक्स लगाया।
Massive protest erupted in Maharashtra's Kolhapur over objectionable viral social media post glorifying Aurangzeb.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) June 8, 2023
When the protest had concluded & people were returning, stone pelting was started from a terrace in Kolhapur. pic.twitter.com/Ivdb4RcIMS
औरंगजेब की क्रूरता एवं कट्टरता का आलम यह था कि उसने अपने परिवार को भी नहीं छोड़ा। राजगद्दी हथियाने के लिए अपने पिता शाहजहां को कैद करा दिया। बड़े भाइयों की हत्या करा दी। औरंगजेब में धार्मिक कट्टरता कूट-कूट कर भरी थी। उसने हिंदुओं और सिखों का धर्मांतरण कराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। धर्म परिवर्तन के लिए राजी नहीं होने पर उन्हें दंडित किया जाता था। कहा जाता है कि औरंगजेब के कहने पर ही जैन धर्म के मुनि जिन प्रसाद की हत्या की गई। औरंगजेब दूसरे धर्मों को जरा भी पसंद नहीं करता था। कहा जाता है कि अपने शासनकाल में उसने करीब 1000 मंदिर तुड़वाए। वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ के एक हिस्से को तोड़वाकर उसने मस्जिद का निर्माण कराया। सोमनाथ मंदिर को भी औरंगजेब ने तुड़वाया।
औरंगजेब ने कई हिंदू राजाओं की हत्या कराई। उसने मारवाड़ के राणा राज सिंह को कैद कराया और फिर उनकी हत्या करा दी। उसने मराठा शासक संभाजी की भी हत्या कराई। औरंगजेब के अत्याचारों एवं जुल्मों का सिख समुदाय ने बहादुरी से सामना किया। यह समुदाय उसके सामने झुका नहीं। इससे औरंगजेब चिढ़ गया था। औरंगजेब ने सिखों के नौवे गुरु गुरु तेग बहादुर की हत्या करा दी।
महाराज शिवाजी और औरंगजेब के बीच लड़ाई भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है-


महाराष्ट्र के महाराज शिवाजी और गुरु शासक औरंगजेब की लड़ाई भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। औरंगजेब दक्कन का सूबेदार था, तभी उसकी शिवाजी से लड़ाई शुरू हुई। 1656 में बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मौत के बाद औरंगजेब ने वहां आक्रमण कर दिया। शिवाजी ने इस दौरान औरंगजेब पर हमला बोल दिया। अहमदनगर और रेसिन के दुर्ग पर भी शिवाजी ने धावा बोला। इस वजह से औरंगजेब और शिवाजी के बीच तनाव बढ़ गया। हलांकि शाहजहां के कहने पर औरंगजेब ने बीजापुर से संधि की। शाहजहां के बीमार होने के बाद औरंगजेब ने उत्तर भारत का रुख किया। वहीं शाहजहां को कैद कर जल्द ही वह दिल्ली का बादशाह बन गया। दक्षिण भारत में भी धीरे-धीरे मराठा साम्राज्य शिवाजी के नेतृत्व में मजबूत होता गया। उत्तर भारत से ध्यान हटने के बाद औरंगजेब ने एक बार फिर दक्षिण का रुख किया। वह शिवाजी की ताकत से वाकिफ था। उसने शिवाजी पर अंकुश के लिए अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार बनाया। डेढ़ लाख की फौज के साथ शाइस्ता खां पूना पहुंच गया। तीन साल तक वह मावल में लूटपाट करता रहा। इसी दौरान शिवाजी ने एक दिन शाइस्ता खां पर हमला किया, जिसमें उसकी चार अंगुलियां कट गईं। उसके बेटे अबुल फतह को भी मराठों ने मार दिया। जब शिवाजी से औरंगजेब का नुकसान बढ़ता गया तो उसने संधि का प्रस्ताव भेजा। जून 1665 की इस संधि के मुताबिक शिवाजी को 23 दुर्ग मुगलों के हवाले करने थे। शिवाजी को इसके बाद आगरा के किले में बुलाया गया। जब वहां उचित सम्मान नहीं मिला तो शिवाजी ने भरे दरबार में नाराजगी जाहिर की। औरंगजेब ने इसके बाद शिवाजी को नजरबंद करा दिया। औरंगजेब का इरादा शिवाजी की हत्या का था। लेकिन उससे पहले ही शिवाजी ने चकमा दे दिया। 17 अगस्त 1666 को शिवाजी और संभाजी किले से भागने में कामयाब रहे। 1668 में शिवाजी और मुगलों के बीच दूसरी बार संधि हुई। इसके बाद 1670 में शिवाजी ने मुगल सेना को सूरत के पास फिर शिकस्त दी। पुरंदर की संधि में जिन राज्यों को शिवाजी ने मुगलों को दिया था, 1674 आते-आते उन इलाकों पर दोबारा शिवाजी का अधिकार हो गया। काशी के ब्राह्मणों ने रायगढ़ के किले में सितंबर 1674 में शिवाजी का राज्याभिषेक कराया। इसके बाद उन्होंने हिंदवी स्वराज का ऐलान किया। विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण में यह पहला हिंदू साम्राज्य था।



3 अप्रैल 1680 को निधन से पहले तक शिवाजी का साम्राज्य मुंबई के दक्षिण में कोंकण से लेकर पश्चिम में बेलगांव, धारवाड़ और मैसूर तक फैला हुआ था। औरंगजेब को चुनौती देने के साथ शिवाजी अपने राज्य का विस्तार करते रहे। इतिहास में कहा जाता है कि शिवाजी की वजह से ही औरंगजेब की दक्षिण नीति फेल हो गई। औरंगजेब ने शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र संभाजी महाराज की बर्बर हत्या कराई थी। महाराष्ट्र में संभाजी को धर्मवीर की उपाधि दी जाती है। खुद औरंगजेब भी संभाजी से काफी प्रभावित था। उसने संभाजी से कहा था- मेरे चार बेटों में से अगर एक भी तुम्हारे जैसा होता तो कब का पूरा हिंदुस्तान मुगल सल्तनत का हिस्सा बन जाता। संभाजी को मौत से पहले भीषण यातनाएं दी गई थीं। 1680 में शिवाजी महाराज के निधन के बाद औरंगजेब की नजर दक्कन (दक्षिण) पर फिर पड़ी। हालांकि संभाजी महाराज की शूरवीरता की वजह से उसके लिए मुश्किल बनी रही। 1689 की शुरुआत में छत्रपति संभाजी राजे के बहनोई गानोजी शिर्के और औरंगजेब के सरदार मुकर्रब खान ने संगमेश्वर पर हमला किया। मराठों और मुगल सेना के बीच भीषण संघर्ष हुआ। मराठों की शक्ति कम हो गई थी। मराठा योद्धा अचानक हुए दुश्मन के हमले का जवाब नहीं दे सके। इसके बाद मुगल सेना संभाजी महाराज को जीवित पकड़ने में कामयाब रही। संभाजी राजे और कवि कलश को औरंगजेब के पास पेश करने से पहले बहादुरगढ़ ले जाया गया था। औरंगजेब ने शर्त रखी थी कि संभाजी राजे धर्म परिवर्तन कर लें तो उनकी जान बख्श दी जाएगी। हालांकि संभाजी राजे ने ये शर्त मानने से साफ इनकार कर दिया। 40 दिन तक औरंगजेब के अंतहीन अत्याचारों के बाद 11 मार्च 1689 को फाल्गुन अमावस्या के दिन संभाजी महाराज की मृत्यु हो गई। असहनीय यातना सहते हुए भी संभाजी राजे ने स्वराज और धर्म के प्रति अपनी निष्ठा नहीं छोड़ी। इसलिए अखंड भारतवर्ष ने उन्हें धर्मवीर की उपाधि से विभूषित किया।यह भी दिलचस्प है कि शिवाजी की धरती पर ही औरंगजेब की मौत हुई। अहमदनगर में तीन मार्च 1707 को औरंगजेब ने आखिरी सांसें लीं। उसकी कब्र औरंगाबाद (अब संभाजीनगर) के खुल्दाबाद में स्थित है।