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उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी विवाद मामले में वाराणसी जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सभी मामले एक साथ सुनने का आदेश 22 मई की डेट में दिया है। हिंदू पक्ष ने 7 केस क्लब करने की याचिका दाखिल की थी। मामले में 7 जुलाई को पहली बार एक साथ सात केस की सुनवाई होगी। बता दें कि, इस मामले की सुनवाई सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई।
वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी के मुताबिक, अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मां शृंगार गौरी प्रकरण की चार महिला वादिनियों सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक की ओर से जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था। अदालत से अनुरोध किया गया था कि ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े एक ही प्रकृति के सात अलग-अलग मुकदमों की सुनवाई जिला जज की अदालत में की जाए। इसके बाद जिला जज की अदालत ने आदेश पारित किया और अलग-अलग मुकदमों से संबंधित फाइलें तलब कीं। मामले में सभी पक्षों के बयान पहले ही दर्ज हो चुके थे। दरअसल, 16 मई 2022 को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने में कमीशन सर्वे के दौरान एक कथित काले रंग का पत्थर मिला था, जिसे प्रतिवादी पक्ष ने शिवलिंग बताकर आदि विशेश्वर का पुरातन शिवलिंग इसे ही माना था और तत्काल इस संदर्भ में इसे सील करने की अपील कोर्ट से की थी। इसके बाद इस पूरे परिसर को सील किया जा चुका है। सुनवाई लगातार जारी थी कि इस बीच हिंदू पक्ष के लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस शिवलिंग नुमा पत्थर की वैज्ञानिक विधि से जांच की अपील की थी। जिस पर कोर्ट ने पिछले दिनों इसका पुरातन पद्धति से आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को सर्वे करने का आदेश दिया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही रोक लगाई है।