Wed, September 27, 2023

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तमिलनाडु के परंपरागत खेल जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार, 5 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला

SC upholds Tamil Nadu government's law allowing bull-taming sport Jallikattu in State
SC upholds Tamil Nadu government's law allowing bull-taming sport Jallikattu in State
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सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण के राज्य तमिलनाडु में परंपरागत खेल जल्लीकट्टू पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने जल्‍लीकट्टू पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार के उस कानून को वैध करार दिया है, जिसमें जलीकट्टू को खेल के रूप में मान्यता दी गई है। अदालत में जल्लीकट्टू के खिलाफ पशु क्रूरता का हवाला देते हुए कई याचिकाएं लगाई गई थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू की इजाजत देने वाले कानून को बरकरार रखा है। कहा कि 2017 में प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल एक्ट में संशोधन किया गया। इससे पशुओं को होने वाले कष्ट में वास्तव में कमी आई है। जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की 5 जजों की बेंच ने 8 दिसंबर 2022 को मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सवा पांच महीने बाद आज बेंच ने फैसला सुनाया है। वहीं महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ और कर्नाटक के कंबाला खेल के खिलाफ लगी याचिका को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि तीनों अधिनियम वैध हैं और इसमें पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। खेल के आयोजन को लेकर तमिलनाडु सरकार की तरफ से बनाए गए कानून के खिलाफ पेटा फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। पेटा ने इस कानून को रद्द करने की मांग की। उसने कहा कि जानवरों के साथ इस तरह से क्रूरता गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो याचिका खारिज कर दी, लेकिन पुनर्विचार याचिका दायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया। बता दें कि जल्‍लीकट्टू बैलों और इंसानों के बीच खेले जाने वाला परंपरागत ग्रामीण खेल है। करीब 2500 सालों से बैल तमिलनाडु में लोगों की आस्था का केंद्र रहे हैं। जल्लीकट्टू खेल में उत्साही लोग हिस्सा लेते हैं। इसमें बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। जिसे गौरव और संस्कृति का प्रतीक समझा जाता है। इस खेल में तमाम एहतियात बरतने के बाद भी खिलाड़ी बौलों से लड़ाई करते समय घायल हो जाते हैं। विजेता का फैसला इस बात किया जात है कि बैल के कूबड़ पर कौन कितनी देर तक ठहर सकता है। इस खेल में खूंखार किस्म के बैल को खिलाड़ी उकसाते हैं। इसी बीच खिलाड़ी बैल की पीठ पर चढ़ने की कोशिश करते हैं। जल्लीकट्टू को दक्षिण भारत के राज्यों में ही खेला जाता है। जिसमें एक समय में 25 खिलाड़ी ही हिस्सा ले सकते हैं।

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