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फिल्में इस समाज का आईना होती है…फिल्मकार अपनी फिल्मों के माध्यम से ही समाज के हर तबके से कुछ न कुछ लेकर उसे एक एक धागे में पिरोकर सबके सामने रखते है.. फिल्में अक्सर जनता को सोशल मैसेज देती है… लेकिन आज कल इन्ही फिल्मों के इर्द गिर्द ही जमकर राजनीति हो रही है
कभी कश्मीर फाइल्स, तो कभी ‘द केरला स्टोरी’ तो कभी प्रधानमंत्री पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देश के हुक्मरान सहित सभी दल अब अपने राजीनीतिक भाषणों में इन फिल्मों को स्पेस भी दे रहे है जिसपर देश भर में खूब राजनीतिक हो रही है…
‘द केरला स्टोरी’ पर दो फाड:
हाल ही में सुदीप्तो सेन की रिलीज हुई फिल्म केरला स्टोरी पर राजनीतिक जगत में अब दो फाड़ देखने को मिल रही है एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी कि सरकार जिस प्रदेश में है वहां इस फिल्म को टैक्स फ्री किया जा रहा है तो वही बंगाल और तमिलनाडु में इस फिल्म को बैन कर दिया गया है याचिकाकर्ता बकायदा इस फिल्म की रिलीज रोकने के लिए केरल हाई कोर्ट तक भी गए थे, इन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फ़िल्म में इस्लाम के प्रति गलत संदेश दिया जा रहा है।
वही कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बीच रिलीज हुई फ़िल्म ‘द केरला स्टोरी’ अब तमाम रोजगार, विकास, स्वास्थ्य के मुद्दे से ऊपर रखी जा रही है…सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अब इस मुद्दे को भुनाने में लगे हुए है…अब तक भाजपा शासित प्रदेश में यह फ़िल्म टैक्स फ्री किया जा रहा है… वही बीजेपी नेता स्कूली छात्राओं को यह फ़िल्म भी दिखा रहे है… सभी राजनीतिक दल इस फ़िल्म के माध्यम से ही सत्ता की रोटी सेकने में व्यस्त है ऐसे में यह फ़िल्म देश मे अब एक बड़े मुद्दे के रूप में उभर कर सामने आ रही हैं।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लिंगायत समुदाय का फैक्टर तो बना ही हुआ था वही भाजपा के दो बड़े नेता जिसमें से एक लिंगायत समुदाय से आते है उन्होंने अब भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का दामन पकड़ लिया है लेकिन उसके बाद बजरंग बली और द केरल स्टोरी की एंट्री इस चुनाव में हो जाती है…अब देखना यब होगा कि भाजपा को कर्नाटक चुनाव में इसका कितना फायदा होता है