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नई दिल्ली के जंतर मंतर पर इस वक्त पहलवानों का आंखाड़ा जारी है। पहलवान पीछले नौ दिनों से लगातार धरने पर अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं और लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि ब्रजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाने के बाद इस पूरे मामले में सही से पुलिस जांच नहीं कर रही है और उल्टा ही हमारी मांगों को राजनीतिक रुप देने की कोशिश की जा रही है और इतना ही नहीं कल रात तो विनश फोगाट ने जिस तरह से आरोप लगाया उससे अब तो यह भी सुनने को मिल रहा है कि पुलिस ने पहलवानों के साथ देर रात बदतमिजी की है।
विनश फोगाट का आरोप है कि उनके साथ बदसलूकी की गई, बालों से पकड़कर घसीटा गया, छाती पर हाथ मारे गए और उनके साथ हाथापाई भी की गई इन्हीं सबों को लेकर पहलवानों ने अब एक फैसला किया है कि वे सभी अपने मेडल वापस कर देंगे और लड़ाई जारी रखेंगे। हम तो सिर्फ मान सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन पुलिस पैरों तले रौंद रही है इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है। हर पुलिस को अधिकार मिल गया है कि वे मां बहनों की गाली दे देंगे।
आपको बता दें कि पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट में दिल्ली पुलिस एफआईआर का स्टेटस बताना था। बृजभूषण की ओर से हरीश साल्वे दलीलें पेश कर रहे थे, जबकि दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलीलें दे रहे थे। मामले पर हरीश साल्वे ने कहा कि ये पूरा मामला पॉलिटिकल है। कोई भी आदेश से पहले बृजभूषण का पक्ष सुना जाए। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा सभी शिकायकर्ताओं को कोई खतरा नहीं है। हम शिकायत की जांच कर रहे हैं। हर चीज की वीडियोग्राफी कराई जा रही है। पूरे मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
इतना ही नहीं पहलवानों के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि जो याचिका दायर की गई थी उसमें एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी और इसे दर्ज करने के साथ ही याचिका का उद्देश्य पूरा हो गया है। जजों की पीठ ने आगे और राहत के लिए याचिकाकर्ताओं को मजिस्ट्रेट से संपर्क करने या किसी भी अन्य शिकायत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने पेश होने की स्वतंत्रता दी।