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International Labour Day 2023: मजदूरों-कामगारों को जागरूक करने और उनके अधिकारों के लिए मनाया जाता है लेबर डे, अमेरिका से हुई थी इस दिवस को मनाने की शुरुआत

International Labour Day 2023: Date, History And Significance
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आज एक ऐसा दिवस है जिसे भारत समेत पूरी दुनिया भर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस, मजदूर दिवस, लेबर डे और मई दिवस के नाम से जाना जाता है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था से लेकर विकासशील से विकसित होने तक के सफर में श्रमिकों को सबसे बड़ा योगदान होता है। हमारे देश भारत में भी मजदूर दिवस 100 साल से मनाया जा रहा है। ‌मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूरों के नाम समर्पित यह दिन 1 मई है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाते हैं, ताकि मजदूरों की स्थिति समाज में मजबूत हो सके। मजदूर किसी भी देश के विकास के लिए अहम भूमिका में होते हैं। हर कार्य क्षेत्र मजदूरों के परिश्रम पर निर्भर करता है। मजदूर किसी भी क्षेत्र विशेष को बढ़ावा देने के लिए श्रम करते हैं। इसी के साथ कामगारों के हक और अधिकारों के लिए आवाज उठाना और उनके खिलाफ होने वाले शोषण को रोकना भी है। साथ ही श्रमिकों और मजदूरों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना है। हर बार मजदूर दिवस की एक थीम होती है, जिसके आधार पर इन दिन को मनाया जाता है। इस वर्ष मजदूर दिवस 2023 की थीम ‘सकारात्मक सुरक्षा और हेल्थ कल्चर के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करना।

अमेरिका में साल 1886 से मजदूरों ने 8 घंटे काम करने के लिए शुरू किया था आंदोलन:

International Labour Day 2023: Date, History And Significance

बता दें कि मजदूर दिवस की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वीं शताब्दी में हुई, जहां आठ घंटे के कार्य दिवस, आठ घंटे के मनोरंजन और आठ घंटे के आराम की वकालत करने के लिए आठ घंटे का आंदोलन शुरू किया गया था। मजदूरों के इस आंदोलन की शुरुआत 1 मई 1886 को (1st may labour day) अमेरिका में हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आ गए थे, दरअसल उस समय मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता था। इस आंदोलन के बीच मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी जिसमें मजदूरों की जान चली गई, वहीं 100 से ज्यादा श्रमिक घायल हो गए। इस आंदोलन के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई। जिसमे तय हुआ कि हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा। इस सम्मेलन में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया, साथ ही हर साल 1 मई को छुट्टी देने का भी फैसला लिया गया। अमेरिका में श्रमिकों के आठ घंटे काम करने के निमय के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया।

भारत में 1 मई 1923 को पहला मजदूर दिवस मनाया गया:

International Labour Day 2023: Date, History And Significance

अमेरिका में भले ही 1 मई 1889 को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव आ गया हो। लेकिन भारत में ये आया करीब 34 साल बाद। वहीं भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1923 को मद्रास (वर्तमान में चेन्नई) से हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में ये फैसला किया गया। इस बैठक को कई सारे संगठन और सोशल पार्टी का समर्थन मिला। जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने की थी। इस दिन को विभिन्न भारतीय राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे कामगार दिन (हिंदी), कर्मिकारा दिनचारणे (कन्नड़), कर्मिका दिनोत्सवम (तेलुगु), कामगार दिवस (मराठी), उझाईपालार दिनम (तमिल), थोझिलाली दिनम (मलयालम), और श्रोमिक दिबोश (बंगाली) में कहा जाता है।

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