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Char Dham Yatra 2023: गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ के बाद भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूरे विधि विधान के साथ खोले गए, जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर

Char Dham Yatra 2023: Badrinath Temple portals to open for pilgrims today
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उत्तराखंड में स्थित भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट आज सुबह 7:10 पर पूरे विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बद्री विशाल के जयकारे लगाए। इससे पहले 22 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए थे। उसके बाद मंगलवार 20 अप्रैल को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुले थे। आज भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद उत्तराखंड स्थित चारों धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

Char Dham Yatra 2023: Badrinath Temple portals to open for pilgrims today

इसके लिए बदरीनाथ धाम को 20 कुंतल फूलों से सजाया गया है। बदरीनाथ के साथ ही धाम में स्थित प्राचीन मठ-मंदिरों को भी गेंदे के फूलों से सजाया गया है। वहीं बदरीनाथ यात्रा को लेकर तीर्थयात्रियों में भी उत्साह और उल्लास का माहौल है। यात्रा पड़ावों पर जगह-जगह तीर्थयात्रियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। बदरीनाथ में तीर्थयात्रियों और स्थानीय श्रद्धालुओं के करीब 400 वाहन पहुंच गए हैं। मंगलवार को जोशीमठ नृसिंह मंदिर से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ बदरीनाथ के रावल रात्रि प्रवास के लिए पांडुकेश्वर स्थित योगबदरी मंदिर पहुंचे थे।

Char Dham Yatra 2023: Badrinath Temple portals to open for pilgrims today

बुधवार को ब्रह्ममुहूर्त में रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने योगबदरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान सैकड़ों महिलाओं ने मांगल गीत और भजनों के साथ डोली को रवाना किया। पांडुकेश्वर से भगवान बदरी विशाल के साथ बदरीश पंचायत में रहने वाले भगवान कुबेर और भगवान उद्धव जी की डोली बदरीनाथ धाम रवाना हुई। पांडुकेश्वर योग बदरी से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी गाडू घड़ा भी बदरीनाथ धाम रवाना हुई। बुधवार देर शाम भगवान कुबेर और भगवान उद्धव जी की डोली बदरीनाथ धाम पहुंची।

हिन्दू धर्म में चारधाम यात्रा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष एक निश्चित अवधि के लिए चार धाम यात्रा का शुभारंभ होता है। जिनमें से बदरीनाथ धाम यात्रा को विशेष जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बदरीनाथ धाम को भगवान विष्णु का प्रमुख निवास स्थल माना जाता है।बदरीनाथ धाम अलकनंदा नदी के तट पर दो पर्वतों के बीच स्थित है, जिनके नाम नर और नारायण हैं। इस धाम में भगवान विष्णु के 24 स्वरूपों में से एक नर-नारायण भगवान की पूजा की जाती है। कपाट खुलने के सन्दर्भ में बात करें तो इस धाम के कपाट तीन चाबियों से खोले जाते हैं और तीनों चाबियां अलग-अलग लोगों के पास सुरक्षित रखी जाती है। द्वार बंद करते समय भगवान विष्णु के शालग्रामशिला से बनी मूर्ति पर घी का लेप लगाया है। कपाट खुलने के बाद यदि श्रीहरि की प्रतिमा पर घी यथास्थिति में है तो यह साल सभी के लिए खुशियों से भरा रहेगा, ऐसी मान्यता है। लेकिन घी सूखा हुआ है तो इसे संकट या सूखा का संकेत माना जाता है।

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