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बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन गुरुवार सुबह जेल से रिहा कर दिए गए । आनंद मोहन आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
बिहार की नीतीश सरकार ने कारा अधिनियम में बदलाव करके आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को रिहा किया है। आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया का परिवार लगातार नीतीश सरकार के इस फैसले पर विरोध जता रहा है। आनंद मोहन की रिहाई को जी कृष्णैया की बेटी ने दुखद बताया। उन्होंने कहा, यह हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है। जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा कि बिहार सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। वो नीतीश कुमार से अपील करती हैं एक बार फिर फैसले पर गौर करें। इस तरह के निर्णय से बिहार सरकार ने गलत उदाहरण पेश किया है। यह सिर्फ एक परिवार नहीं बल्कि पूरे देश के साथ अन्याय है। हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। वहीं, जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा, जनता आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करेगी, उसे वापस जेल भेजने की मांग करेगी।
आनंद मोहन को रिहा करना गलत फैसला है। सीएम नीतीश को इस तरह की चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। अगर वह (आनंद मोहन) भविष्य में चुनाव लड़ेंगे तो जनता को उनका बहिष्कार करना चाहिए। मैं उन्हें (आनंद मोहन) वापस जेल भेजने की अपील करती हूं। बता दें कि तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया अनुसुचित जाति से थे। वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे और 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे। इसी दौरान भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी। इस दौरान इन्हें गोली भी मारी गई थी। आरोप था कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन ने ही उकसाया था। यही वजह थी कि पुलिस ने इस मामले में आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली समेत 6 लोगों को नामजद किया था। आनंद मोहन सिंह को 1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या की हत्या के लिए 2007 में मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन एक साल बाद, पटना उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। गुरुवार सुबह चार बजे बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। सोमवार शाम को, बिहार के कानून विभाग ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि बिहार राज्य दंड छूट परिषद की सिफारिश पर 14 साल की वास्तविक सजा या 20 साल की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई के लिए निर्णय लिया गया।