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आज यानी 20 अप्रैल 2023 को सूरज तीन प्रकार के ग्रहण से गुजरेगा। यानी तीन तरह का सूर्य ग्रहण हो रहा है। आंशिक (Partial), पूर्ण (Total) और कुंडलाकार (Annular)।
वैज्ञानिक इस तीनों घटनाओं को मिलाकर इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) बुलाते हैं। ऐसा 100 सालो में कभी-कभी ही होता है। कभी-कभी इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसकी गणना करना बेहद कठिन होता है।
बता दें कि सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं।
पहला:- आंशिक सूर्य ग्रहण
ये सबसे ज्यादा दिखाई देता है। जब चंद्रमा सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर रोशनी रोकता है, तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है।

दूसरा है कुंडलाकार:-
जब चंद्रमा सूर्य के बीचो-बीच आकर रोशनी रोकता है। तब चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बनता है। इसे रिंग ऑफ फायर कहते हैं।
तीसरा है पूर्ण:-
जब चंद्रमा सूरज को पूरी तरह ढंक लेता है। सिर्फ सूरज के कोरोना की रोशनी ही दिखती है। इसे आप खुली आंखों से बिना किसी यंत्र के भी देख सकते हैं।
और चौथा और खास है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण जब आंशिक, कुंडलाकार और पूर्ण तीनों सूर्य ग्रहण जब आपस में मिलते हैं, तब यह दुर्लभ नजारा देखने को मिलता है। यह सबसे ज्यादा खूबसूरत और कम होने वाला ग्रहण होता है।
क्या है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में खास ?
असल में हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में पहले पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है, फिर कुंडलाकार। बाद में ये स्थिति बदल जाती है। इसी वजह से पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर रह रहे लोग एक ही वक्त में अलग-अलग तरह के सूर्य ग्रहण देखते हैं। अगर आप सूर्योदय या सूर्यास्त के समय हाइब्रिड सूर्य ग्रहण देखेंगे तो आपको हल्का रिंग ऑफ फायर देखने को मिलेगा। दोपहर में देखने की कोशिश करेंगे तो आपको कोई एक चीज ही देखने को मिलेगी। चाहे कुंडलाकार सूर्य ग्रहण या फिर पूर्ण सूर्य ग्रह। पूर्ण और कुंडलाकार आपको एकसाथ देखने को नहीं मिलेंगे। यानी आप हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कभी नहीं देख सकते।
क्यों होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?
वैसे तो चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। लेकिन हमेशा धरती से बराबर दूरी पर नहीं होता। कभी दूर, कभी नजदीक। जब वह सूर्य और धरती के बीच आता है। पृथ्वी के इतना पास हो कि उसकी छाया से पृथ्वी का एक हिस्सा ढंक जाए तब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता हैं। जब वह सूर्य और धरती के मध्य में आता है, लेकिन उसकी दूरी पृथ्वी से ज्यादा होती है, तब उसकी छाया छोटी होती है। ऐसे में कुंडलाकार सूर्य ग्रहण होता हैहाइब्रिड सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से दूरी न ज्यादा होती है न कम। वह पृथ्वी से इतना दूर होता हैं जिससे उसकी छाया पृथ्वी के छोटे हिस्से पर खत्म होती है। ऐसे में छोटे छाया वाले हिस्से में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है। दूसरी तरफ जहां छाया फैलती है, वहां कुंडलाकार सूर्य ग्रहण. यानी किनारों से सूर्य दिखता है। तब हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होता है।