Wed, September 27, 2023

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Former Chief Minister of Andhra Pradesh and senior Congress leader Kiran Kumar Reddy joined BJP

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता किरण कुमार रेड्डी ने भाजपा जॉइन की

Former Chief Minister of Andhra Pradesh and senior Congress leader Kiran Kumar Reddy joined BJP
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आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता किरण कुमार रेड्डी ने भाजपा जॉइन कर ली है। कांग्रेस छोड़ते वक्त रेड्डी ने अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक लाइन का इस्तीफा भेजा था। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि किरण कुमार रेड्डी के परिवार के कई सदस्य कांग्रेस में थे। कुछ समय पहले जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने मुझे बताया कि वह पीएम मोदी से प्रभावित हैं। आज वह बड़ी छलांग लगाते हुए बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भाजपा में शामिल हुए थे। आज किरण रेड्डी भी भाजपा में शामिल हो गए। रेड्डी पहले भी कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं।

2014 में जब यूपीए सरकार ने आंध्र से तेलंगाना को अलग करने का फैसला किया, तब रेड्डी ने विरोध में पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने तब अपनी जय समैक्य आंध्रा पार्टी बनाई थी और आम चुनाव में कैंडिडेट्स भी उतारे थे। उन्हें एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। इसके बाद रेड्डी काफी समय तक राजनीति से दूर रहे और 2018 में वापस कांग्रेस में शामिल हो गए। किरण कुमार रेड्डी ने साल 1989 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और वायलपाडु से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। उन्होंने 1999 और 2004 में एक ही निर्वाचन क्षेत्र से और बाद में 2009 में पिलेरू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। फिर साल 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की दुखद मौत से पैदा हुए नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के के बाद किरण कुमार ने 2010 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की बागडोर संभाली। रेड्डी 11 नवंबर 2010 को आंध्र प्रदेश के सीएम बने थे। हालांकि तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा किए गए संयुक्त आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद रेड्डी ने 10 मार्च 2014 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध भी किया था और मनमोहन सरकार के विधेयक के विरोध में राज्य की विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया था।

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