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पवन पुत्र हनुमान का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। पूरे देश भर के हनुमान मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। सुबह से ही हनुमान मंदिरों में पूजा-पाठ भजन कीर्तन शुरू हो गया। पवनपुत्र हनुमान कहें या मारुति नंदन, संकटमोचन हनुमान हर किसी परिस्थिति में अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं। सोशल मीडिया पर भी हनुमान जन्मोत्सव को लेकर सुबह से ही व्हाट्सएप ग्रुप पर बधाई-संदेश का सिलसिला जारी है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमान जन्मोत्सव पर देशवासियों को बधाई दी है।
आप सभी को हनुमान जयंती की ढेरों शुभकामनाएं। इस पावन पर्व पर भगवान हनुमान के चरणों में वंदन के साथ मैं हर किसी के कल्याण की कामना करता हूं।
— Narendra Modi (@narendramodi) April 6, 2023
कई शहरों में हनुमान जन्मोत्सव पर शाम को भंडारे का आयोजन भी होगा। इस बार हनुमान जन्मोत्सव 5 शुभ संयोग के साथ मनाई जा रही है। जिसमें गजकेसरी, हंस, शंख, विमल और सत्कीर्ति नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं। इस पर्व पर पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा, हस्त नक्षत्र के स्वामी सूर्य और चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल का प्रभाव रहेगा। इन तीन ग्रहों के संयोग में हनुमान जी की पूजा करना शुभ फलदायी रहेगा। हनुमान जन्मोत्सव को लेकर गृह मंत्रालय भी अलर्ट है। पिछले दिनों हुए रामनवमी पर हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल, बिहार और दिल्ली में हनुमान जन्मोत्सव पर अलर्ट जारी किया गया है।
Central Armed Police Forces deployed in West Bengal to assist state police in maintaining law and order during observance of Hanuman Jayanti.
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) April 5, 2023
देशभर में सुरक्षा पूरी तरह से ठीक रहे इसके लिए हनुमान जन्मोत्सव पर केंद्र सरकार की एडवायजरी भी जारी की गई है। आज हनुमान जन्मोत्सव पर कुछ बेहद शुभ मुहूर्त ऐसे हैं, जिनमें हनुमान जी की पूजा करना उपाय करना आपको उन्नति देगा। हनुमान जी की पूजा के लिए कुल चार मुहूर्त हैं। साथ ही 5 बड़े योग भी रहेंगे। जिससे पूजा का महत्व और बढ़ जाएगा। हनुमान जी ब्रह्मचारी के रूप में पूजे जाते हैं इसलिए ग्रंथों में सुबह 4 से रात 9 बजे तक उनकी पूजा का विधान बताया गया है।
उत्तर भारत में चैत्र महीने की पूर्णिमा पर मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव:


हनुमान जन्मोत्सव उत्तर भारत में चैत्र महीने की पूर्णिमा पर यानी आज मनाया जा रहा है। इन्हें भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना गया है। यहां ये एक दिन का पर्व होता है। वहीं दक्षिण भारत में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी दीपावली से एक दिन पहले होता है। यह दिन बजरंगबली की कृपा पाने के लिहाज से बेहद खास होता है। माना जाता है कि हनुमान जी का सच्चे मन से स्मरण करना जीवन की सारी बाधाएं दूर कर देता है। अगस्त्य संहिता और वायु पुराण के मुताबिक हनुमान जी की आयु एक कल्प यानी 4.32 अरब साल है। इस कारण वे अमर माने जाते हैं। ओडिशा में हनुमान जयंती वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है, जो इस बार 7 अप्रैल को है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 41 दिन का हनुमान जन्म उत्सव मनाया जाता है। जो इस बार 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 मई तक चलेगा। पौराणिक कथानुसार, एक बार महर्षि अंगिरा, भगवान इंद्र के देवलोक पहुंचे। वहां पर इंद्रदेव, पुंजिकस्थला नामक अप्सरा के नृत्य प्रदर्शन की व्यवस्था किए हुए थे। किंतु ऋषि को अप्सराओं के नृत्य में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए वह ध्यानमग्न हो गए।
#WATCH | Union Home Minister Amit Shah unveils 54 feet tall statue of Lord Hanuman at Sarangpur temple in Botad district on Hanuman Jayanti pic.twitter.com/0IX4XCVKvA
— ANI (@ANI) April 6, 2023
अंत में जब उनसे अप्सरा के नृत्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ईमानदारीपूर्वक कहा कि उन्हें नृत्य देखने में कोई रुचि नहीं। अपसरा पुंजिकस्थला ऋषि की बातों को सुनकर क्रोधित हो गई। बदले में ऋषि अंगिरा ने नर्तकी को श्राप देते हुए कहा कि धरती पर उसका अगला जन्म बंदरिया के रूप में होगा। यह सुनते ही पुंजिकस्थला, ऋषि से क्षमा मांगने लगी। लेकिन ऋषि ने दिए हुए श्राप वापस नहीं लिया। तब नर्तकी एक अन्य ऋषि के पास गई। उस ऋषि ने अप्सरा को आशीर्वाद दिया कि सतयुग में विष्णु भगवान का एक अवतार प्रकट होगा। इस तरह पुंजिकस्थला का सतयुग में वानर राज कुंजर की बेटी अंजना के रूप में जन्म हुआ। फिर उनका विवाह कपिराज केसरी के साथ हुआ, जो एक वानर राजा थे। इसके बाद दोनों ने एक पुत्र यानी हनुमान को जन्म दिया, जो बेहद शक्तिशाली और बलशाली थे। इस प्रकार भगवान शिव के 11वें अवतार के रूप में हनुमान जी का जन्म हुआ। इसलिए उनके जन्मदिवस को हनुमान जंयती के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह बजरंगबली के जन्म की एक रोचक कथा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, बजरंगबली का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पूर्व चैत्र पूर्णिमा पर मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में सुबह 6 बजे हुआ था। कहा जाता है कि हनुमान जी का जन्म भारत के झारखंड राज्य गुमला जिले के आंजन नामक छोटे से पहाड़ी गांव में एक गुफा में हुआ था। जब महावीर का जन्म हुआ था तब उनका शरीर वज्र के समान था। हालांकि हनुमान जी के जन्म को लेकर कई मतभेद भी हैं।
आइए जानते हैं हनुमान जयंती मंत्र के बारे में।
‘ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥‘
‘ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।’
‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।‘
‘ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।‘
‘ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा।’
‘मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये॥‘