Wed, September 27, 2023

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नवरात्रि पर इस बार 110 वर्षों बाद बन रहा है महासंयोग, पूरे 9 दिनों की होगी नवरात्रि

This Navratri will be a Grand Conjunction after 110 Years, Navratri to last for full 9 days
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नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं और इनका समापन 30 मार्च को होगा। साथ ही इस बार चैत्र नवरात्रि पर 110 साल बाद दुर्लभ संयोग का निर्माण भी होने जा रहा है। वहीं, मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आएंगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं। शक्ति की पूजा का महापर्व नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है और इसी दिन से नव संवत्सर की भी शुरुआत हो जाती है। इस बार नवरात्र में चार योग का विशेष संयोग बन रहा है। पूरे 9 दिनों के नवरात्र के साथ माता का आगमन नौका और प्रस्थान डोली पर होगा जो बहुत शुभकारी बताया जा रहा है।

चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त

इस बार नवरात्रि पर बनने वाले विशेष महासंयोग के बारे में यह बेहद खास है। चैत्र मास की नवरात्रि इस बार बुधवार, 22 मार्च को शुरू हो रही है जो 30 मार्च तक रहेगी। जो संपूर्ण 9 दिवसीय नवरात्र है। इसमें तिथियों की घट-बढ़ नहीं है। प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 11 बजकर 4 मिनट पर लग जाएगी। इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी।

इस वर्ष मां का आगमन नौका पर है, जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है। पूरे 9 दिनों के नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा होगी। चार ग्रहों का परिवर्तन नवरात्र पर देखने को मिलेगा। यह संयोग 110 वर्षों के बाद मिल रहा है। इस बार नव संवत्सर लग रहा है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी। इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस वर्ष के राजा बुद्ध और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे। जिसके चलते शिक्षा क्षेत्र में बहुत क्रांति के अवसर मिलेंगे और महिलाओं का भी विशेष उत्थान इस वर्ष दिखाई पड़ेगा।

चैत्र नवरात्रि की पूजन विधि

कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें।

कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।

मां दुर्गा के किस स्वरूप की किस दिन होगी पूजा?

1- नवरात्रि पहला दिन 22 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)
2- नवरात्रि दूसरा दिन 23 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां ब्रह्मचारिणी पूजा
3- नवरात्रि तीसरा दिन 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार: मां चंद्रघंटा पूजा
4- नवरात्रि चौथा दिन 25 मार्च 2023 दिन शनिवार: मां कुष्मांडा पूजा
5- नवरात्रि पांचवां दिन 26 मार्च 2023 दिन रविवार: मां स्कंदमाता पूजा
6- नवरात्रि छठवां दिन 27 मार्च 2023 दिन सोमवार: मां कात्यायनी पूजा
7- नवरात्रि सातवं दिन 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार: मां कालरात्रि पूजा
8- नवरात्रि आठवां दिन 29 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां महागौरी
9- नवरात्रि 9वां दिन 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां सिद्धिदात्री।

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