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Bihar Politics: सीएम नीतीश कुमार से अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाई नई पार्टी

Upendra Kushwaha quit Janata Dal (United), Launches new political party
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लंबे समय से नाराज चल रहे जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आखिरकार नीतीश कुमार से अपने आपको अलग कर लिया। कई दिनों से उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी की खबरें सामने आ रही थी। सोमवार को पटना में उपेंद्र कुशवाहा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई पार्टी ‘राष्ट्रीय लोक जनता दल’ बनाने का एलान किया। कुशवाहा ने कहा कि आज से नई राजनीतिक पारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि वे इसी के साथ एमएलसी पद और जदयू की सदस्यता से इस्तीफा देते हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 2 साल पहले जदयू में आया था। लेकिन अब नई राजनीतिक पारी शुरू कर रहा हूं। 2005 के बाद नीतीश विरासत को आगे बढ़ा रहे थे। उन्होंने शासन में अच्छे से काम किया। बिहार को खौफनाक मंजर से बाहर निकालने में उन्होंने पूरी ताकत लगा दी। बिहार बाहर आया, लोगों में अमन शांति कायम हुआ। लेकिन उन्होंने अंत में बुरा कर दिया। अंत में अगर भला नहीं हुआ, तो सब बुरा। 18 साल में ये तीसरी बार है जब उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़ा है। दूसरी बार उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई है। उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि जमीन बेचकर हम अमीर नहीं बन सकते। इसलिए एमएलसी पद से भी इस्तीफा दूंगा। विधान परिषद के सभापति से मिलकर एक-दो दिन में इस्तीफा भी सौंप दूंगा। उपेंद्र ने कहा कि जेडीयू के कार्यकर्ता परेशान हैं। मुख्यमंत्री जी ने शुरुआत में अच्छा काम किया, लेकिन आखिर में उन्होंने जो किया वो अच्छा नहीं हुआ। नीतीश जी जिस रास्ते पर चल रहे हैं। वो पार्टी के लिए सही नहीं है। मैंने जब पार्टी में सवाल उठाया तो मुझे मुख्यमंत्री जी ने कह दिया पार्टी छोड़कर चले जाइए। नीतीश जी के पास है क्या। उनके पास अब कुछ नहीं बचा है। नीतीश जी ने पार्टी को गिरवी रख दिया। मैं उनसे क्या हिस्सा मांगू। उनके हाथ में शून्य है। जीरो है। नीतीश जी पहले कोई भी फैसला खुद लेते थे। कार्यकर्ताओं और नेताओं से बात करते थे। उनके खुदके फैसले सही होते थे। आज की तारीख में वो कोई फैसला खुद नहीं लेते हैं। मुख्यमंत्री जी अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर रहे हैं। वो डरे हुए लोगों की सलाह पर चल रहे हैं। नीतीश जी गलत रास्ते पर चल रहे हैं।नीतीश जी पड़ोसी के घर में उत्तराधिकारी ढूंढ रहे हैं। अगर वो अतिपिछड़ा समाज से किसी को चुनते तो हमें कोई परेशानी नहीं होती। उपेंद्र कुशवाहा नहीं पसंद थे तो कोई बात नहीं, लेकिन परिवार में ही ढूंढना था।

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