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Pushkar Dhami Govt Implemented ‘Anti-Copying Law’ in Uttarakhand amidst Students Agitation, Life Imprisonment if found Guilty

बेरोजगार युवकों के आंदोलन के बीच उत्तराखंड में ‘नकल विरोधी कानून’ लागू, दोषी पाए जाने पर होगी उम्र कैद की सजा

Pushkar Dhami Govt Implemented ‘Anti-Copying Law’ in Uttarakhand amidst Students Agitation, Life Imprisonment if found Guilty
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राजधानी देहरादून में बेरोजगार युवकों के आंदोलन के बीच उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून लागू हो गया है। उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में राजभवन ने अध्यादेश लागू किया है। राज्यपाल ने लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शुक्रवार को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश, 2023 पर मुहर लगा दी।

Uttarakhand Governor Clears the Anti Copying Ordinance by Dhami Govt

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन पर राज्यपाल ने 24 घंटे के भीतर यह कदम उठाया है। इस कानून के तहत अगर कोई प्रिटिंग प्रेस, कोचिंग इंस्टीट्यूट या मैनेजमेंट सिस्टम नकल कराने पर दोषी पाया जाता है, तो उसे उम्र कैद और 10 करोड़ रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा। हाल ही में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित कराई गई पटवारी भर्ती परीक्षा पेपर भी लीक हो गया था। इससे पहले ही यूकेएसएसएससी के भी कई पेपर लीक हो चुके हैं। ऐसे में सरकार सवालों के घेरे में थी। इसीलिए बीते दिनों धामी सरकार ने कैबिनेट में नकल विरोधी कानून को सहमति दी थी।

Uttarakhand CM Dhami Implemented Anti Copying Law in all exams

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में अब जितनी भी भर्ती परीक्षाएं होंगी उन सभी में नया नकल विरोधी कानून लागू होगा। इस कानून में जुर्माने और सजा का बहुत कठोर प्रावधान किया गया है। पथराव व लाठीचार्ज की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल छात्र-छात्राओं के कंधे पर बंदूक रखकर अपना मकसद पूरा करना चाहते हैं। जो लोग छात्रों के बीच पहुंचकर हिंसात्मक माहौल बनाने की कोशिश की, प्रशासन उनकी पहचान करेगा।

अध्यादेश में दोषियों के विरूद्ध सख्त प्रावधान:

यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।

अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी।

इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा।

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