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आरबीआई ने आज एक बार फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। जिसके बाद लोगों को महंगाई का झटका लगा है। खास तौर पर यह ईएमआई देने वाले उन ग्राहकों को अब जेब पर ज्यादा बोझ पड़ेगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर झटका दिया है। रेपो रेट बढ़ने से अब आम आदमी की होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन की ईएमआई महंगी हो जाएगी। हालांकि बैंकों में एफडी कराने वाले ग्राहकों को ब्याज का भी फायदा होगा । आरबीआई ने आज मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्याज दरों से जुड़ी घोषणा की। बीते साल मई 2022 से अब तक लगातार छह बार रेपो रेट में इजाफा किया जा चुका है और इस अवधि में ये कुल 2.50 की बढ़ चुका है।

फिलहाल, रेपो रेट 6.50 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके बढ़ने के साथ ही सभी तरह के होम, ऑटो, पर्सनल सभी तरह के लोन महंगे हुए हैं और लोगों को ज्यादा ईएमआई भरनी पड़ रही हैं। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में भी इजाफा देखने को मिलता है। आरबीआई ने इस बार लगातार छठी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। इसके पहले आरबीआई ने 5 बार रेपो रेट में इजाफा किया है। एक साल में आरबीआई ने कुल 225 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। आरबीआई ने आखिरी बार दिसंबर 2022 में इसमें 0.35 फीसदी का इजाफा किया गया था। इसे बढ़ाकर 6.24 फीसदी कर दिया गया था। रेपो रेट बढ़ने से सबसे ज्यादा झटका आम आदमी को लगा है। आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ गया है। आरबीआई की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ जाएगा, लेकिन इससे बैंकों में जमा एफडी पर लोगों को ब्याज ज्यादा मिलेगा।
आइए जानते हैं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी कान्फ्रेंस के दौरान क्या-क्या बड़ी बातें कहीं
- भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।
- आरबीआई गवर्नर ने मौजूदा हालात में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि को उचित बताया।
- मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया।
- मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में है।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति अब इतनी कमजोर नहीं दिख रही है। मुद्रास्फीति नीचे आ रही है।
- कमजोर वैश्विक मांग, मौजूदा आर्थिक माहौल घरेलू वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान। अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहेगी।
- चालू वित्त वर्ष में खुदरा 6.5 प्रतिशत पर रहेगी। अगले वित्त वर्ष में यह घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ जाएगी।
- बीते साल और इस वर्ष अभी तक अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये में कम उतार-चढ़ाव हो रहा है।
- रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की घोषणा के बाद यह 6.50 प्रतिशत हो गई है। इससे पहले इस स्तर पर यह एक अगस्त 2018 को थी।