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ग्राहकों को महंगाई का झटका: आरबीआई ने किया रेपो रेट में वृद्धि का ऐलान, जाने किन किन बातों पर होगा इसका असर

RBI announces increase in repo rate for 6th times in a row, know what will be its impact
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भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने आज बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर नीतिगत दर रेपो में इजाफा करने का ऐलान किया है। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी। आरबीआई का कहना है कि महंगाई को काबू में लाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।

आइए जानते हैं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी कान्फ्रेंस के दौरान क्या-क्या बड़ी बातें कहीं

  • भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।
  • आरबीआई गवर्नर ने मौजूदा हालात में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि को उचित बताया।
  • मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया।
  • मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति अब इतनी कमजोर नहीं दिख रही है। मुद्रास्फीति नीचे आ रही है।
  • कमजोर वैश्विक मांग, मौजूदा आर्थिक माहौल घरेलू वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  • खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान। अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहेगी।
  • चालू वित्त वर्ष में खुदरा 6.5 प्रतिशत पर रहेगी। अगले वित्त वर्ष में यह घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ जाएगी।
  • बीते साल और इस वर्ष अभी तक अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये में कम उतार-चढ़ाव हो रहा है।
  • रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की घोषणा के बाद यह 6.50 प्रतिशत हो गई है। इससे पहले इस स्तर पर यह एक अगस्त 2018 को थी।

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