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जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष एवं बिहार के वरिष्ठ नेता शरद यादव का गुरुवार को निधन हो गया है। इसकी जानकारी उनकी बेटी ने ट्वीट कर दी है। 75 वर्ष की उम्र में शरद यादव ने गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली जहां उनका इलाज कई हफ़्तों से चल रहा था।
बहुचर्चित जेपी आंदोलन से अपनी राजनैतिक सफर की शुरुआत करने वाले शरद यादव ने जनता दल यूनाइटेड की स्थापना की थी।बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव के निधन से राजनैतिक गलियारों में शोक की लहर फैल गई है। उनकी समाजवाद वाली राजनीति ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया था। लेकिन अब उस महान नेता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है, गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हुआ है।
शरद यादव की बेटी ने लिखा, ‘पापा नहीं रहे’।
शरद यादव चार बार बिहार के मधेपुरा सीट से सांसद रहे हैं। कुछ साल पहले शरद यादव की नीतीश कुमार से अनबन हो गई थी । इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे थे। शरद यादव जेडीयू से बाहर हो गए और नई पार्टी बनाई थी। हालांकि अब वह लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी के करीब हो गए थे।
शरद यादव के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम नेताओं ने शोक जताया।
पटना के बहुचर्चित गांधी मैदान से सन 1974 में जे पी द्वारा जब संपूर्ण क्रांति आंदोलन की नींव रखी तब कुछ गिने चुने लोगों में लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार, राम मनोहर लोहिया सहित कई लोगों ने उनका सहयोग दिया, इसमे एक और नाम था शरद यादव का जिन्होंने बाकियों की तरह इसी आंदोलन से अपनी राजनैतिक पारी की शुरूआत की।

जब आंदोलन के बाद आम चुनाव हुआ जिसमे जे.पी के द्वारा कुछ गिने चुने लोगों को जनता पार्टी की टिकट पर बहुचर्चित हलधर चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ाया गया तब उस समय शरद यादव की उम्र महज 27 वर्ष थी। शरद यादव को जबलपुर उपचुनाव लड़ाने का जे पी नारायण का फैसला सही साबित हुआ। शरद यादव जनता पार्टी के पहले विजयी उम्मीदवार बने जो कि महज 27 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे। तब से शरद यादव ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। स्व शरद यादव एक सच्चे समाजवादी नेता थे।