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भारतीय नौसेना की शक्ति में बढ़ोतरी होते हुए अब आधुनिक हथियारों से लैस ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ नौसेना में शामिल हो गया हैं।
भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस मोरमुगाओ को आज इंडियन नेवी को सौंप दिया है।
बता दें कि आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत के मिलने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ है। इसे मुंबई में स्थित नेवी के डॉकयार्ड में तैनात किया गया है। मौजूदा समय में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के दखल के बीच इस युद्धपोत का इंडियन नेवी में शामिल होना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस विध्वंसक युद्धपोत से भारतीय नौसेना की हिंद महासागर में पहुंच बढ़ेगी और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा काफी मजबूत होगी।
जानें इस युद्धपोत की खास बातें:
आईएनएस मोरमुगाओ का नाम गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर रखा गया है।
इस युद्धपोत ने 19 दिसंबर 2021 को पहली बार समंदर में कदम रखा था। रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, इस विध्वंसक युद्धपोत को भारतीय नौसेना के ‘वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो’ ने डिजाइन किया है और इसका निर्माण मुंबई की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।
यह पूरी तरह से स्वदेशी युद्धपोत है और भारत के निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में शामिल है।
भारतीय नौसेना के अनुसार, यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है।
नौसेना ने बताया, इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7,400 टन है। इस युद्धपोत में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइन लगी हैं जिनकी मदद से यह जंगी जहाज 30 समुद्री मील से अधिक की रफ्तार से चल सकता है।
यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, रॉकेट लॉन्चर और टोरपीडो जैसे हथियारों से लैस है। इसकी वजह से दुश्मन देश के जहाज पर हमेशा भारी पड़ेगा।
इस युद्धपोत में लगीं मिसाइलें आसमान में उड़ते विमान पर 70 किलोमीटर और जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्य पर 300 किलोमीटर दूर से निशाना लगाने में सक्षम हैं।
आधुनिक रडार की मदद से इस युद्धपोत पर बेहद खराब मौसम के दौरान भी नौसेना के हेलीकॉप्टर लैंड कर सकेंगे।
आईएनएस मोरमुगाओ 127 मिलीमीटर गन से लैस है। इसमें एके-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम भी है।
इस युद्धपोत को प्रोजेक्ट 15बी के तहत निर्मित किया गया है। इस प्रोजेक्ट में चार विध्वंसक युद्धपोतों को निर्मित किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट के पहले जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम को पिछले साल भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। बाकी दो युद्धपोतों (आईएनएस इम्फाल और आईएनएस सूरत) का निर्माण कार्य भी मझगांव डॉकयार्ड में तेजी से चल रहा है।
यह स्वदेशी युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसकी बाहरी परत को स्पेशल स्टील से बनाया गया है, ताकि दुश्मन राडार पर इसे लोकेट न कर पाए।
इससे पहले प्रोजेक्ट 15A के तहत INS कोलकाता, INS कोच्चि और INS चेन्नै अस्तित्व में आए हैं। प्रोजेक्ट 15ए की खास बात यह रही कि प्रमुख रूसी सिस्टम्स को स्वदेशी सिस्टम्स से बदला गया।