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भारतीय दंड विधान यानी इंडियन पीनल कोड 1860 में 6 अक्टूबर को पारित हुआ था। उसे एक जनवरी 1861 से लागू किया गया था। हत्या से लेकर रेप तक और चोरी से लेकर मानहानि तक हर अपराध की सजा क्या होगी, इसमें ही तय किया गया है। यह देश में सबसे पुराने कानूनों में एक माना जाता है। 1837 में थॉमस मैकाले की अध्यक्षता में पहले लॉ कमीशन ने इंडियन पीनल कोड का ड्राफ्ट बनाना शुरू किया था। 1850 में ड्राफ्टिंग का काम पूरा हुआ और 1856 में इसे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सामने पेश किया गया। बार्न्स पीकॉक ने ड्राफ्ट में आवश्यक सुधार किए। पीकॉक बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस भी बने। उस समय आईपीसी को बनाने वालों के दिमाग में कहीं न कहीं गुलाम और आका वाली मानसिकता थी। इस वजह से राजद्रोह जैसे कई सेक्शन पर विवाद रहा। 1860 के बाद से अब तक आईपीसी के कई सेक्शन बदले जा चुके हैं।