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आज एक ऐसी बीमारी के बारे में बात करेंगे जो बढ़ती आयु के साथ बुजुर्गों को अपनी चपेट में ले लेती है। यह है ‘भूलने’ की बीमारी। यानी याददाश्त कमजोर हो जाना। इसे मेडिकल की भाषा में ‘अल्जाइमर’ कहते हैं। हर साल 21 सितंबर को ‘विश्व अल्जाइमर डे’ मनाया जाता है। यह एक मानसिक बीमारी है जिससे न सिर्फ मरीज की याददाश्त कमजोर हो जाती है बल्कि उसके दिमाग पर भी इसका असर पड़ता है और रोजमर्रा के कार्यों को करने में भी परेशानी महसूस होती है। मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। इस बीमारी में व्यक्ति छोटी से छोटी बात को भी याद नहीं रख पाता । भारत अल्जाइमर रोग के मामले में दुनिया भर में तीसरे नंबर पर है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका स्थायी इलाज नहीं है। दवाइयों और व्यायाम से मरीज की भूलने की शक्ति को कम किया जा सकता है। जब तक मरीज जिंदा रहता है तब तक उन्हें दवाइयां व व्यायाम करना पड़ता है। इससे मरीज करीब 20 से 25 साल आसानी से जी सकता है। अल्जाइमर के मरीजों को दवाई के साथ-साथ थेरपी भी दी जाती है लेकिन उनकी देखभाल बेहद जरूरी होती है। अब युवाओं में भी इस बीमारी को देखा गया है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया में अल्जाइमर को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। अल्जाइमर में दिमाग में होने वाली नर्व सेल्स के बीच होने वाला कनेक्शन कमजोर हो जाता है। धीरे-धीरे यह रोग दिमाग के विकार का रूप लेता है और याददाश्त को खत्म करता है। व्यक्ति सोचना भी बंद कर देता है और रोजाना के कामकाज करने में भी कठिनाई आने लगती है। अल्जाइमर मुख्य रूप से ‘डिमेंशिया’ का ही एक रूप है। इससे पीड़ित लोगों को भूलने की आदत हो जाती है। इस वजह से वे 1-2 मिनट पहले हुई बात को भी भूल जाते हैं। डॉक्टरों की मानें तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अल्जाइमर बीमारी का खतरा अधिक रहता है। डॉक्टरों के पास अल्जाइमर के इलाज के लिए आने वाले हर 10 मरीज में से 6 महिलाएं होती हैं।
अल्जाइमर से लोगों को होने वाली परेशानी, कारण और बचाव इस प्रकार हैं–
बता दें कि अल्जाइमर मरीजों को लोगों को पहचानने और काम करने में परेशानी होती है। सोचने की शक्ति कम होना, चीजों को सुलझा न पाना, भूल जाना, आंखों की रोशनी कमजोर होना, मूड स्विंग्स, डिप्रेशन, थकान और कमजोरी का होना है। इस बीमारी के यह हैं कारण, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, स्मोकिंग, कोलेस्ट्रॉल, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया सिर पर चोट लगना, दुर्घटना होना, अनुवांशिक कारण आदि हैं। अल्जाइमर से बचाव के यह कारण हैं। मेंटल गेम खेलना, हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और योग, लोगों से बात करना, तनाव कम करना, म्यूजिक सुनना, परिवार के साथ वक्त बिताना और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहना। इस भूलने की बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं। बता दें कि अल्जाइमर का इलाज पहली बार 1901 में एक जर्मन महिला का किया गया था। इस बीमारी का इलाज जर्मन मनोचिकित्सक डॉ. अलोइस अल्जाइमर ने किया था। उन्हीं के नाम पर इस बीमारी का नाम रखा गया था. जब अल्जाइमर डिजीज ने 21 सितंबर 1994 को अपनी 10वीं एनिवर्सरी सेलिब्रेट की तब इस डे को विश्व स्तर पर हर साल मनाने की घोषणा की गई। तभी से हर देश में कई जागरूकता अभियान और आयोजन आयोजित किए जाते हैं। वर्ल्ड अल्जाइमर डे को साल 2012 से हर वर्ष विश्वस्तर पर मनाया जा रहा है।