
JOIN OUR WHATSAPP GROUP
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, बोले तो खूब बहस और भयंकर तकरार। कई बार इस मामले को उठाया गया लेकिन नतीजा पर कब पहुँचा जाएगा इसका किसी को कुछ नहीं पता। फ़िलहाल इस पूरे मामले में अपडेट ये है कि इलाबाहाद हाईकोर्ट ने सोमवार 12 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में हाईकोर्ट को मुख्य रूप से यह तय करना है कि वाराणसी की स्थानीय अदालत में साल 1991 में दायर मामले की सुनवाई हो सकती है या नहीं। और अब इसकी अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी।
पहले मामले को समझिए
1991 में शुरू हुआ यह पूरा विवाद। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से दो वकीलों दान बहादुर सिंह और संकठा तिवारी ने वाराणसी की निचली अदालत में एक वाद दाखिल किया था। इसमें ये मांग की गई थी कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदुओं को पूजा-अर्चना की इजाजत दी जानी चाहिए, पूरे ज्ञानवापी परिषर को काशी मंदिर घोषित करना, मुसलमानों को कैम्पस से हटाना और मस्जिदों को ध्वस्त करना। लेकिन हाई कोर्ट ने निचली अदालत को इसपर सुनवाई करने की रोक लगा दी गई।
साल 2019, फिर नया साल और नया बवाल। वीएस रस्तोगी नाम के एक वकील कूद पड़े इस मामले में। वाराणसी की कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस याचिका में मांग की गई कि 1991 वाली याचिका पर सुनवाई पूरी की जाए और मस्जिद की पूरी भूमि को हिंदुओं को दी जाए। वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने 8 अप्रैल 2021 को एक आदेश पारित करते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को आदेश दिया कि वे मस्जिद का सर्वे कराएं। इसका मकसद ये पता लगाना था कि क्या मस्जिद को मंदिर तोड़कर बनाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 सितंबर 2021 को रोक लगाई और आदेश दे डाली कि इस पूरे मामले में कोई भी निचला कोर्ट बिना हाई कोर्ट से अनुमति लिए इसपर सुनवाई नहीं करेगा।अब इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है।
दोनों तरफ की ओर से लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पाड़िया ने इसे लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं पुरातात्विक सर्वे रिपोर्ट को लेकर 28 सितंबर को हाईकोर्ट में बहस होगी। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के बीच अब कैसे सामंजस्य बैठाया जाए फिलहाल यब सबसे बड़ी समस्या है।