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पिछले काफी समय से इस बात को लेकर बहस चल रही थी कि दिल्ली नगर निगम चुनाव केंद्र सरकार जान बूझकर टाल रही ही। साथ ही आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा जान चुकी है कि केजरीवाल के विकास और शिक्षा-स्वस्थ्य की नीति से दिल्ली की जनता खुश है और अगर अभी चुनाव कराया गया तो भाजपा चुनाव हार जाएगी। इसलिए इसे टालने की कोशिश की गई है। जबकि केंद्र सरकार का मत था कि केजरीवाल सिर्फ झूठ फैला रही है बल्कि नीगम एकीकरण के बाद दिल्ली के विकास में तेजी आएगी। अभी केजरीवाल सरकार दिल्ली सरकार के फण्ड को रोककर दिल्ली के विकास में बाधा बन रही है। जबकि एकीकरण के बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी।
अब पक्ष-विपक्ष के इसी तर्क के कारण दिल्ली का नगर निगम चुनाव नहीं हो सका लेकिन अब इसकी तस्वीरे साफ हो चुकी है। दिल्ली के तीनों नगर निगम एक होने के बाद 22 सीटें कम हो जाएंगी। केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम में सीटों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित कर दी है जबकि 42 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए हैं। इससे पहले 3 नगर निगमों में कुल सीटों की संख्या 272 थीं। इस संबंध में शनिवार को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। निगम में आरक्षित सीटों की संख्या को 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है। नगर निगम में परिसीमन के लिए जुलाई में तीन सदस्यों का आयोग बनाया गया था।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 19 मई को तीनों नगर निगम के विलय के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। दिल्ली दिल्ली नगर निगम का कार्यकाल 18 मई, उत्तरी निगम निगम का कार्यकाल 19 और पूर्वी निगम का कार्यकाल 22 मई को खत्म हुआ है। परिसीमन का काम पूरा होने के बाद निगम में चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।
केंद्र सरकार के ऊपर उस वक्त भी काफी सवाल खड़े किए गए थे जब चुनाव आयोग ने नीगम चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली थी और उसने डेट और चुनाव की रूपरेखा तय करने के लिए मीडिया को आमंत्रित भी कर लिया था लेकिन ठीक एक घंटे पहले चुनाव आयोग के पास एक चिट्ठी केंद्र सरकार द्वारा आई कि नीगम एकीकरण करने पर विचार किया जा रहा है इसलिए अभी यह चुनाव नहीं हो सकेंगे। बस इसी के बाद पूरा बवाल खड़ा हुआ था। आम आदमी पार्टी का कहना था कि वह निगम एकीकृत के खिलाफ नहीं हैं। अगर इसे एक करना ही था तो पहले क्यों नहीं किया गया। चुनाव के मौके पर इसकी घोषणा क्यों की गई।

