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ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का लंबी बीमारी के बाद 96 वर्ष की आयु में निधन

एलिजाबेथ एलेक्जेंडरा मैरी विंडसर यानी शॉर्ट में
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय। महारानी अब इस दुनिया में नहीं रही। सात दशक तक शाही परिवार और ब्रिटेन की रियासत संभालने वाली 96 साल की एलिजाबेथ द्वितीय को उनके स्कॉटलैंड में बोल्मोरल कैसल स्थिति आवास पर डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था जिसकी जानकारी बकिंघम पैलेस की ओर से गुरुवार को यह जानकारी दी गई। यह खबर शाही परिवार के लिए किसी सदमें से कम नहीं है।
एलिज़ाबेथ कौन थीं?

एलिजाबेथ यॉर्क के ड्यूक प्रिंस अल्बर्ट और उनकी पत्नी लेडी एलिजाबेथ बोवेस-लियोन की बड़ी बेटी जिनका जन्म 21 अप्रैल 1926 को हुआ था। शाही परिवार में पैदा होने के कारण अपनी पढ़ाई घर में ही पूरी की। जब भारत आजाद हुआ यानी साल 1947 में, उन्होंने एक नौसेना अधिकारी, लेफ्टिनेंट फिलिप माउंटबेटन जो उनके दूर के चचेरे भाई थे, से 21 साल की उम्र में ही शादी कर ली। फिलिप ग्रीस के राजकुमार एंड्रयू के बेटे और महारानी विक्टोरिया के परपोते थे। शादी के ठीक एक साल बाद दोनों ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम रखा प्रिंस चार्ल्स। चार्ल्स जब 2 साल के हुए तो उनकी एक बहन राजकुमारी ऐनी भी दुनिया मे कदम रखी। काफी हंसती खेलती जिंदगी चल रही है तभी 1952 में उनके हसी के अरमानों का गला घोंटने वाली खबर सुनाई दी। एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज का निधन हो गया जो काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उस वक़्त प्रिंस फिलिप, प्रिंसेस एलिजाबेथ केन्या में छुट्टियां मनाने गए थे। बीच में सब कुछ छोड़कर दोनों ब्रिटेन पहुँचे।
1952 को मिली ब्रिटेन की गद्दी



पिता के मौत के बाद साफ हो चुका था कि ब्रिटेन को एक नई महारानी मिलने वाली है और हुआ भी वही। 25 साल की उम्र में 6 फरवरी, 1952 को एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की महारानी नियुक्त हुईं, 2 जून 1953 को उनका आधिकारिक रूप से राज्याभिषेक किया गया। मात्र 25 वर्ष की उम्र में ब्रिटेन की गद्दी पर बैठने वाली एलिजाबेथ के बारे में कभी किसी ने नहीं सोचा होगा कि वह 70 वर्षों तक इस पद पर विराजमान रहेंगी। एलिजाबेथ को ब्रिटेन की गद्दी को संभालने वाली सबसे उम्रदराज महिला के रूप में भी याद किया जाएगा। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने भारत का दौरा भी किया है। वो तीन बाद भारत दौरे पर आई हैं।
एलिजाबेथ जब आई भारत दौरे पर







महारानी एलिजाबेथ ने 1961, 1983 और 1997 में भारत का दौरा किया था, लेकिन एलिजाबेथ खुद अपने भारत दौरे पर बात करते हुए कहा था कि उनकी पहली भारत यात्रा सबसे शानदार रही थी। दरअसल उस वक़्त आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पहले दिल्ली हवाई अड्डे पर शाही जोड़े का स्वागत किए थे। इसके बाद एलिजाबेथ और प्रिंस चार्ल्स दोनों राजघाट पहुँचे जहां महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार किया गया था। वहां पहुंचने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपनी सैंडल को निकाल कर अंदर प्रवेश किया। प्रिंस फिलिप ने भी ठीक ऐसा ही किया था। राजघाट में पुष्पांजलि अर्पित कर यह शाही जोड़ी पड़ोसी देश नेपाल और पाकिस्तान का दौरा भी किया।




