
ढाई दशक बाद ‘आईएनएस विक्रांत’ नौसेना में फिर लौटा, जानिए इस युद्धपोत का अब तक का सफर

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आज भारतीय नौसेना के लिए बहुत ही खास दिन है। 25 साल पहले रिटायर हुआ आईएनएस विक्रांत आज दोबारा नौसेना को मिल गया है। इसी के साथ भारत की समुद्री ताकत और बढ़ गई है। अब हमारा देश दुनिया के उन छह शक्तिशाली देशों अमेरिका, यूके, रूस, चीन और फ्रांस की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनमें स्वदेशी तकनीक से एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की क्षमता है। आईएनएस विक्रांत के पास शुरू में मिग फाइटर जेट और कुछ हेलिकॉप्टर होंगे। नौसेना 26 डेक-आधारित विमान खरीदने की प्रक्रिया में है। अभी तक भारत के पास केवल एक विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य था, जिसे रूस में बनाया गया था। भारतीय रक्षा बल कुल तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग कर रहे थे, जिन्हें हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में दो मुख्य नौसैनिक मोर्चों पर तैनात किया जाना है और एक अतिरिक्त रखना है। आईएनएस विक्रांत को बनाने के लिए पिछले एक दशक से ज्यादा समय से काम चल रहा था। पिछले वर्ष 21 अगस्त से इसके कई समुद्री चरणों को पूरा किया गया।
अब इसमें एविएशन ट्रायल किया जाएगा। 43 हजार टन वजनी ये जहाज एयरक्राफ्ट कैरियर है, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केरल के कोच्चि में आईएनएस विक्रांत” को नौसेना के हवाले किया। इसके साथ ही नौसेना के पास अब दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं। आईएनएस विक्रांत के अलावा आईएनएस विक्रमादित्य भी भारत के पास है। आईएनएस विक्रांत के आने से हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ गई है। साथ ही एक और बड़ा बदलाव हुआ। “नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया। इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने महाराज शिवाजी को समर्पित किया”। आईएनएस विक्रांत के दोबारा आने पर भारतीय नौसेना विराट और विशाल के साथ और ताकतवर हो गई है। यह युद्ध पोत स्वदेशी तकनीक से बना है। भारत के समुद्री इतिहास का ये अब तक का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है। भारत इस तरह का पोत बनाने का दुनिया के चुनिंदा छह देशों में शामिल हो गया है। “कोचीन शिपयार्ड में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार आईएनएस विक्रांत को आप समंदर में चलता फिरता शहर कह सकते हैं। इसका डेक ही दो बड़े फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है। इसमें 30 जंगी विमान और हेलीकॉप्टर रखे जा सकते हैं। इसमें 16 बेड का अस्पताल है। 1700 नौसैनिक यहां रह सकते हैं’। इससे निर्माण जितने लोहे का इस्तेमाल हुआ है उससे चार एफिल टॉवर का निर्माण हो सकता है। विक्रांत की 76% चीजें भारत में बनीं हैं। इसमें 2200 कंपार्टमेंट हैं और एक बार में 1600 से ज्यादा नौसैनिक रह सकते हैं। आईएनएस विक्रांत के आने से हिंद महासागर में भारत की ताकत और बढ़ गई है।
India is becoming Aatmanirbhar in the defence and security sphere. This augurs well for our future. pic.twitter.com/fvdNkyPtyy
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2022
साल 1957 में भारत ने ब्रिटेन से एचएमएस हरक्यूलीज के नाम से खरीदा था–
आईएनएस विक्रांत नाम का जंगी जहाज पहले भी भारतीय नौसेना में रह चुका है। एचएमएस हरक्यूलीज नाम के जंगी जहाज को भारत ने 1957 में ब्रिटेन से खरीदा था और फिर आईएनएस विक्रांत के नाम से उसे 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में आईएनएस विक्रांत ने महत्पूर्ण योगदान दिया था। 1997 में उसे सेवानिवृत्त कर दिया गया था। नया आईएनएस विक्रांत पुराने वाले जहाज के मुकाबले बड़ा और आधुनिक है। बता दें कि 25 साल पहले 31 जनवरी 1997 को नेवी से रिटायर हुए आईएनएस विक्रांत का आज करीब 25 साल बाद पुनर्जन्म हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सबसे बड़े युद्धपोत को नौसेना के हवाले कर दिया। साल 1971 की जंग में आईएनएस विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था। पीएम मोदी ने इसे नौसेना में शामिल करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की झलक है। पीएम ने कहा कि आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो स्वदेशी रूप से इतने बड़े युद्धपोत बना सकते हैं, विक्रांत ने नया आत्मविश्वास जगाया है।