Noida Supertech Twin Towers Demolition: What is the full story of noida twin towers understand why sc ordered to demolish
नोएडा के ट्वीन टावर के पीछे भ्रष्टाचार की पूरी कहानी समझिए कि कैसे लोगों के अरमानों का गला घोंट तैयार किया गया था

नोएडा के ट्वीन टावर के पीछे भ्रष्टाचार की पूरी कहानी समझिए कि कैसे लोगों के अरमानों का गला घोंट तैयार किया गया था

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181 दिनों तक गहरी चर्चा और फिर जाकर डिसाइड हुआ कि नोएडा का सुपरटेक ट्वीन टॉवर को 28 अगस्त दोपहर 2.30 बजे गिरा दिया जाएगा। इसलिए अब यह चंद घण्टों में धराशायी हो जाएगा। इसकी चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि यह सबसे ऊंची इमारतों में से एक है। एपेक्स टावर की ऊँचाई 103 मीटर जबकि सियान टावर की ऊँचाई 97 मीटर है। अगर बात कुतुबमीनार की करें तो उसकी ऊँचाई 97 मीटर ही है। चर्चा इस बात की भी है कि आखिर 3 सालों की लगातार मेहनत के बाद बनी यह इमारत कैसे 9-12 सेकंड में मलवो में परिवर्तित हो जायेगा।

गिराना आसान नहीं होगा इसलिए इसकी विशेष तैयारी की गई है। साथ ही नोएडा एक्सप्रेस वे को भी दोपहर 2.15 से 2.45 तक बन्द रखा जाएगा। टावर को गिराने की जिम्मेदारी मिली है एडिफिस और साउथ अफ्रीका की कम्पनी जेट को। उसके इंजीनियर का कहना है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग को गिराना काफी रिस्की है इसलिए हमने पूरे टॉवर के अंदर 9640 होल किये हैं जिंसमें 3700 किलोग्राम बारूद डाला गया है। इमारत को ढहता देखने के लिए लोग कई जगहों से यानी दूसरे राज्यो से भी आये हैं, लेकिन समस्या इसमें उन 7000 परिवारों के लिए हैं जो इस टावर के आसपास रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2700 गाड़ियां ट्वीन टावर के सर्किल में खड़ी होती है जिन्हें जगह खाली करने का आदेश जारी किया गया है।

अनुमान बताया जा रहा है कि जब दोनों टावर गिरेगी तो 35000 क्यूबिक मलबा और धूल का एक बहुत बड़ा गुब्बार उड़ेगा। साल 2020 में केरल के कोच्चि में भी कुछ इसी तरह से भ्रष्टाचार के भेंट चढ़े रिहायशी कॉलोनियों में बनी इमारतों को गिराने का काम किया गया था। अब सवाल ये है कि 3 सालों की कड़ी मेहनत और 70 करोड़ रुपये की लागत से बनी इन दोनों इमारतों को गिराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दे दिया।
सुपरटेक नाम की कम्पनी ने एमरॉल्ड कोर्ट नामक प्रोजेक्ट के तहत 11 मंजिलों के कुल 14 रिहायशी टावर का निर्माण किया। फिर ग्राहक को बड़ी गार्डन, स्विमिंग पूल, पार्किंग जैसे झूठी तस्सली देकर इसने सभी फ्लैट्स बेच डाले। फिर बाद में सुपरटेक कम्पनी ने जिस एरिया को गार्डन स्पेस बताया था उसमें दो अन्य टावर का निर्माण करना शुरू कर दिया। अब अगर एक सोसाइटी के बगल में कुतुबमीनार से भी लंबी टावर खड़ी की जाए तो यह उस सोसाइटी में रहने वाले लोगों के लिए खतरा हो सकता है। जबकि उत्तर प्रदेश का अपार्टमेंट ओनर एक्ट के मुताबिक जब भी आप इस तरह का निर्माण करवाते हैं तो सोसाइटी में रहने वालों की अनुमति लेनी होती है।

फिर आसपास के लोगों ने पहले इसकी शिकायत नोएडा अथॉरिटी को और फिर 2012 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार को की लेकिन कुछ रिजल्ट नहीं मिला। इसके बाद लोग उस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए और फिर कोर्ट ने इसे गिराने के आदेश जारी कर दिए फिर जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को उठाया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने भी हाइकोर्ट के आदेश पर ही सहमति जताई। लेकिन तब तक टावर नियमों की धज्जियां उड़ाती हुई तैयार कर ली गई थी। दोनों टावर के बीच 16 मिटर की दूरी होनी चाहिए लेकिन इनमें सिर्फ 9.88 मीटर की दूरी ही है। सुपरटेक कम्पनी की पकड़ इतनी थी कि उसने तीन वर्षों में 915 फलैट्स, 21 कमर्सियल दुकान बना दिया। लेकिन अब इस पूरे भ्रष्टाचार का खत्मा होने में सिर्फ चंद घण्टे रह गए हैं।

दुनिया के अन्य टावर के बारे में भी जाने जो चंद सेकंड में ही मलवे में तब्दील हो गई
ऐसा नहीं है कि इतनी लंबी इमारतें गिराई नहीं गई हो। बल्कि यूएई का मीना प्लाजा( 168 मीटर), ब्राजील का विल्सन मेंडस (107 मीटर ऊँचाई), अमेरिका का लैंडमार्क होटल (111मीटर की ऊँचाई), अमेरिका का ही जेएल हडसन (134 मीटर की ऊँचाई), अमेरिका का लैंडमार्क टावर (130 मीटर की ऊँचाई), अमेरिका का ओसीएन टावर (115 मीटर की ऊँचाई) जर्मनी की एफी टर्म (116 मीटर की ऊँचाई) और चीन की गोल्डन फ्लावर (118 मीटर ऊँचाई) ऐसी इमारतें रही जो करोड़ो की लागत से बनने के बावजूद चंद सेकंड में मलवे में तब्दील हो गई।
अमन पांडेय