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नई दिल्ली, 22 अगस्त। नामों के बदलने का सिलसिला अब देश के एम्स के ऊपर भी आ चुका है। दिल्ली समेत सभी 23 एम्स का नाम स्थानीय नायकों, क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, क्षेत्र की ऐतिहासिक घटनाओं, स्मारकों या उनकी विशिष्ट भौगोलिक पहचान के आधार पर रखे जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा इस मामले में सुझाव मांगे जाने के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने अधिकांश नामों की सूची सौंप दी है।
सभी एम्स को लेकर जो सुझाए मांगे गए थे उनकी एक पूरी लिस्ट भी तैयार कर ली गई है। यानी 75 वर्षों से जो देश की एक अमिट पहचान है, उसके नाम में बदलाव किया जाना है। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश में बेहतर स्वास्थय सुविधाओं और रिसर्च को गति देने के लिए एक चिकित्सा केन्द्र की स्थापना की रुपरेखा तैयार की, जिसे तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर का सहयोग मिला और 1952 में आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की आधारशिला रखी गई और फिर 18 फरवरी 1956 को देश की तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने लोकसभा में AIIMS को स्वायत्ता (ऑटोनोमस) प्रदान करने के लिए बिल पेश किया और इसके पारित होने के बाद देश को पहला AIIMS मिला।
भारत के इतिहास में एम्स एक प्रमुख स्थान रखता है। अभी वर्तमान में कुल 23 एस हैं जिनमें से कुछ एम्स ऐसे हैं जो कि संचालित हो रहे हैं, जबकि अन्य प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत स्थापित किए जा रहे हैं। ये सभी या तो अपने सामान्य नाम से जाने जाते हैं या फिर उस स्थान विशेष के नाम से संबोधित किए जाते हैं। लिहाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी 23 एम्स को विशिष्ट नाम देने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। इन 23 में से अधिकांश एम्स ने नामों की सूची सौंप दी है. इतना ही नहीं, एम्स ने तीन से चार नामों का सुझाव सौंपा है।
छह नए एम्स बिहार (पटना), छत्तीसगढ़ (रायपुर), मध्य प्रदेश (भोपाल), ओडिशा (भुवनेश्वर), राजस्थान (जोधपुर) और उत्तराखंड (ऋषिकेश) को पीएमएसएसवाई के पहले चरण में मंजूरी दी गई थी। 2015 और 2022 के बीच स्थापित किए गए 16 एम्स में से 10 संस्थानों में MBBS और आउट पेशेंट विभाग की सेवाएं शुरू की गई हैं, जबकि अन्य 2 में केवल MBBS की क्लास शुरू की गई हैं। शेष 4 संस्थानों को तैयार किया जा रहा है। अगर बात दिल्ली की करें तो फिलहाल AIIMS में वर्तमान में 42 डिपार्टमेंट और 7 सेंटर चल रहे हैं, जिसमें कुल 1095 फैक्ल्टी हैं और नॉन फैकल्टी की संख्या 12,318 है। वर्तमान में यहां लगभग 3 हजार बेड की क्षमता उपलब्ध है।