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सीबीआई दिल्ली में 21 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है, इसी क्रम में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर पर भी छापा मारा है।
इस रेड की जानकारी देते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, ‘सीबीआई आई है। उनका स्वागत है। हम कट्टर ईमानदार हैं। लाखों बच्चों का भविष्य बना रहे हैं। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे इसी तरह परेशान किया जाता है। इसीलिए हमारा देश अभी तक नम्बर-1 नहीं बन पाया है।’
मनीष सिसोदिया ने अपने एक और ट्वीट में कहा कि , ‘ये लोग दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य के शानदार काम से परेशान हैं। इसीलिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री को पकड़ा है ताकि शिक्षा स्वास्थ्य के अच्छे काम रोके जा सकें। हम दोनों के ऊपर झूँठे आरोप हैं। कोर्ट में सच सामने आ जाएगा। हम सीबीआई का स्वागत करते हैं। जाँच में पूरा सहयोग देंगे ताकि सच जल्द सामने आ सके।
अभी तक मुझ पर कई केस किए लेकिन कुछ नहीं निकला।इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा। देश में अच्छी शिक्षा के लिए मेरा काम रोका नहीं जा सकता।’
सीएम केजरीवाल ने सीबीआई रेड पर कहा अब भी कुछ नहीं निकलेगा
वहीं दूसरी तरफ इस रेड पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अख़बार NYT के फ़्रंट पेज पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ़ और मनीष सिसोदिया की तस्वीर छपी, उसी दिन मनीष के घर केंद्र ने CBI भेजी CBI का स्वागत है। पूरा cooperate करेंगे। पहले भी कई जाँच/रेड हुईं। कुछ नहीं निकला। अब भी कुछ नहीं निकलेगा।
दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी पर उठे सवाल के बाद हो रही है जाँच
दरअसल में सीबीआई की जांच की एसआरएस दिल्ली के LG ने दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर की थी। यह रिपोर्ट 8 जुलाई को LG को भेजी गई थी। इस रिपोर्ट में पिछले साल लागू की गई एक्साइज पॉलिसी पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट में आरोप लगाए गए थे कि नई नीति से दिल्ली एक्साइज एक्ट और दिल्ली एक्साइज रूल्स का उल्लंघन हुआ है। इसके अलावा आरोप है कि शराब बेचने वालों की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और आबकारी मंत्री के तौर पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इन प्रावधानों की अनदेखी की है।
आबकारी नीति के विरुद्ध जाकर शराब निर्माता कंपनी को शराब बेचने के ठेके दिए गए, जबकि शराब निर्माता और सप्लायर कंपनी को शराब बेचने के ठेके नहीं दिए जा सकते हैं, एक शराब ठेकेदार को शराब दुकान नहीं मिलने के बाद 30 करोड़ रुपए लौटा दिए गए, जबकि नियम के मुताबिक़ ये राशि सरकार के ख़ज़ाने में जाने चाहिए थे।