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अवैध तरीके से घुसपैठ या फिर शरणार्थी, इस बात को प्रमाणित करने में भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता, मंत्री सहित सभी एक बार फिर से रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के बीच फंसते हुए नज़र आ रहे हैं। हरदीप सिंह पूरी का एक ट्वीट और फिर शुरु हुआ राजनेताओं का बयानबाजी का बयार। देखते ही देखते सोशल मीडिया, अखबार और टीवी चैनल पर बहस का मुद्दा बनता चला गया लेकिन किसी ने अपने ऊपर यह नहीं कहा कि रोहिंग्याओं को संरक्षण देने का काम हम कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे पर टकराव की ऐसी स्थिति बनी कि मानों रोहिंग्या किसी के द्वारा नहीं बल्कि खुद का देश समझकर रहने लगे हैं और किसी सरकार को इससे कोई मतलब ही नहीं है। लेकिन सवाल यही है कि क्या गृहमंत्रालय और अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के बीच कोई तालमेल है या नहीं क्योंकि यह संकट आया ही क्यों जब मोदी सरकार का रोहिंग्याओं को लेकर स्टैंड हमेशा से एक ही रहा है तो। भाजपा तो हमेशा से कहती रही है कि देश की सुरक्षा के साथ हम कभी समझौता नहीं करते।
मनीष सिसोदिया प्रेसवार्ता करके कहते हैं कि रोहिंग्याओं के मामले पर केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ठ करे। देश की नीतियों के खिलाफ और अवैध तरीके से रहने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। दिल्ली सरकार को कोई जानकारी नहीं है कि रोहिंग्या कहां रह रहे हैं। दिल्ली पुलिस को इसकी जानकारी होनी चाहिए। मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने रोहिंग्या को ईडब्ल्यूएस फ्लैट देने के मुद्दे रुख स्पष्ट करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। लेकिन दूसरी तरफ उनके ही विधायक कहते हैं कि रोहिंग्या शरणार्थी है तो उन्हें मदद करना हमारा धर्म है। ऐसे में ना ही भाजपा का टेक समझ आ रहा है और ना ही आम आदमी पार्टी का।
इस पूरे मुद्दे पर भाजपा एक लेटर का जिक्र भी कर रही है जो 23 जुलाई 2018 की लिखी गई है और जिसमें रोहिंग्याओं के स्थान परिवर्तन और एक कम्यूनिटी हाल एवं 240 फ्लैट देने की बात कही गई है। इसको लेकर भी भाजपा हमलावर है कि आखिर क्यों दिल्ली की झुग्गीवासियों और गरीबों की बात करने की जगह आम आदमी पार्टी सरकार रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों की बात कर रही है जबकि पाकिस्तान से दिल्ली में आए हिंदुओं को बिजली-पानी देने से मना तक कर दिया गया।
इस मुद्दे पर अभी और कितने राजनीतिक ओले बरसने हैं इसका जवाब बोलना मुश्किल है और साथ ही दिल्ली में जो गरीबों के लिए फ्लैट्स बने हैं जो जर्जर होने के बाद 600 करोड़ रुपये के मरम्मत के बाद फिर से तैयार हुए हैं, वह किसके लिए हैं इसका जवाब फिलहाल दिल्ली की जनता केजरीवाल और मोदी सरकार से जानने की कोशिश कर रही है।