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म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के…यह महज एक फ़िल्म का डायलॉग हो सकता है, लेकिन इसको चरितार्थ भी किया गया कॉमन वेल्थ गेम्स में। शुक्रवार का पूरा दिन भारतीय पहलवानों के नाम रहा। भारत के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने शुक्रवार को राष्ट्रमंडल खेलों में पुरूषों की फ्रीस्टाइल 65 किग्रा स्पर्धा के फाइनल में कनाडा के लाचलान मैकनील को 9-2 से हराकर देश के लिए इस साल का 7वां गोल्ड जीता। उसकी जश्न अभी लोग मना ही रहे थे कि हरियाणा की छोरी साक्षी मलिक ने शानदार तरीके से एक और गोल्ड भारत की झोली में डाल दी।



भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने राष्ट्रमंडल खेलों की 62 किग्रा के फाइनल में कनाडा की एना गोंडिनेज गोंजालेस को चित करके स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह साक्षी का राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक है। इससे पहले वह राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और कांस्य पदक जीत चुकी हैं। साक्षी ने गोंजालेज को चित (विन बाई फॉल) करके स्वर्ण पदक जीता।

खेल काफी दिलचस्प था क्योंकि एक समय तो ऐसा लग रहा था मानो भारत को सिल्वर से संतुष्ट होना पड़ेगा कारण साफ था क्योंकि साक्षी पहले हाफ के अंत तक मैच में 4-0 से पीछे चल रही थीं। लेकिन दर्शकों की उम्मीदों के बिल्कुल उल्टा दूसरे हाफ में उन्होंने शानदार वापसी की। साक्षी ने पहले गोंजालेज को दो बार टेकडाउन करके मैच को 4-4 की बराबरी पर पहुंचाया और फिर अपनी प्रतिद्वंदी को चित करते हुए उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना पहला स्वर्ण प्राप्त किया। भारत कुश्ती में अब तक दो स्वर्ण और एक रजत सहित तीन पदक जीत चुका है। इससे पहले, अंशु मलिक 57 किग्रा महिला में रजत जीत चुकी है।


दूसरी ओर एक और गोल्ड के लिए विपक्षी के सामने भीड़ रहे बजरंग पुनिया ने इस बार ठान लिया था कि जो गलती टोक्यो ओलंपिक 2020 के कांस्य पदक जीतने में की थी वह इस मैच में नहीं दोहराने वाले। इसलिए बजरंग ने मैच की शुरुआत से ही मेकनील पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, जबकि मेकनील उनके सामने बेअसर नजर आये। गत चैम्पियन बजरंग मौरिशस के जीन गुलियाने जोरिस बांडोऊ को महज एक मिनट में पटखनी देकर 6-0 की जीत से सेमीफाइनल में पहुंचे। उन्हें क्वार्टरफाइनल में पहुंचने में दो मिनट से भी कम समय लगा, जिसके लिये उन्होंने शुरूआती दौर में नौरू के लोवे बिंघम को गिराकर 4-0 से आसान जीत दर्ज की।
अमन पांडेय