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आजादी के 9 साल बाद साल 1956 में आज के दिन भारत के लिए उपलब्धियों से भरा दिन था। 66 साल पहले 4 अगस्त 1956 को भारत ने अपना न्यूक्लियर रिएक्टर शुरू किया था। ये भारत के साथ ही पूरे एशिया का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर था। रिएक्टर से निकलती नीली किरणें देख उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे ‘अप्सरा’ नाम दिया था। 15 मार्च 1955 को भारत ने न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर बनाने का फैसला लिया था। डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा इस पूरे प्रोग्राम के हेड थे। देश के तमाम वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत कर केवल 15 महीने में इसका काम पूरा कर लिया था। अप्सरा लाइट वाटर स्विमिंग पूल-टाइप रिएक्टर है जिसमें अधिकतम वन मेगावॉट थर्मल का बिजली उत्पादन होता था। रिएक्टर की भट्ठी में एलमूनियम-यूरेनियम की मिश्र धातु से तैयार प्लेटों को जलाकर ऊर्जा पैदा होती थी। इसके लिए ईंधन यूके से आता था। 2010 में यह रिएक्टर बंद हो गया। रिएक्टर के लिए ईंधन की आपूर्ति को लेकर यूनाइटेड किंगडम से एक डील हुई थी। अप्सरा रिएक्टर में रेडियो आइसोटोप का उत्पादन भी किया जाता था। हालांकि 2010 में यह रिएक्टर बंद हो गया था और इसके अपग्रेड रिएक्टर अप्सरा-उन्नत का परिचालन 10 सितंबर, 2018 में शुरू हुआ था।