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2 अगस्त। सपा के कद्दावर नेता हैं दीपनारायण सिंह यादव। उत्तर प्रदेश से झांसी के गरौठा से विधायक भी रहे हैं और इनका कुनबा काफी बढ़चढ़ कर पूरे क्षेत्र में है। कारण है साहब के अथाह पैसा है। लेकिन अब उसका हिसाब भी ले लिया गया है। आय जितना नहीं उससे अधिक तो खर्च हो जाता है पूर्व विधायक जी से और यही उनके खिलाफ चला गया। आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा हुआ है। मुकदमा भी वर्तमान भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत ने किया है। इसमें उनके खिलाफ अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था। शासन के निर्देश पर विजिलेंस ने 5 अप्रैल 2021 को जांच शुरू की थी। जांच में आरोप सही पाए गए।

अखिलेश यादव के करीबी इसलिए भी दीपनारायण को माना जाता है क्योंकि अखिलेश यादव जब भी झांसी आये हैं रैली या सभा में तो उनके बगल में दीपनारायण जरूर दिखते हैं। फिलहाल दीपनायरण यह नहीं दिखा पाए कि
23.02 करोड़ की संपत्ति कहाँ से और कैसे आया। FIR के अनुसार, शासन ने 5 अप्रैल 2021 को पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह यादव के खिलाफ खुली जांच के आदेश उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को दिए थे।
जांच में सामने आया कि विधायक रहते हुए दीपनारायण सिंह यादव को 14 करोड़ 30 लाख 31444 रुपए की आय हुई। जबकि इस अवधि में उनका खर्च 37 करोड़ 32 लाख 55844 रुपए पाया गया। इस प्रकार दीपनारायण ने अपनी आय की तुलना में 23 करोड़ 2 लाख 24400 रुपए का अधिक व्यय किया। इस संबंध में दीपनारायण संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे पाए।



अब मामला जब सामने आया है तो इसकी जांच की जिम्मेदारी कानपुर विजिलेंस की टीम को दी गई है। जांच में दीपनारायण सिंह प्रथमदृष्टया आय से अधिक संपत्ति के दोषी पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। इस पर शासन ने 29 जून को एफआईआर के आदेश दिए थे। अब उनके खिलाफ झांसी विजिलेंस में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(बी) और 13 (2) के तहत मामला दर्ज करवाया गया है। इस केस की जांच कानपुर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान की ओर से की जाएगी।
आपको बता दें कि झांसी जनपद के मोठ थाना क्षेत्र के बुढ़ावली गांव निवासी दीपनारायण सिंह यादव 2007 से 2017 तक लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन साल 2017 और 2022 में यानी पिछले दो बार से उनको जवाहर लाल राजपूत से हार का सामना करना पड़ा। इस पूरे मामले में पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव ने कहा, “जवाहर लाल राजपूत चुनाव से कोशिश में लगे थे कि किसी प्रकार फंसा दें। राजनीतिक दबाव में षड़यंत्र रचकर एफआईआर लिखवाई है। ईमानदार अधिकारी के सामने लेखा-जोखा रखेंगे तो न्याय जरूर मिलेगा। उसके बाद भी दबाव में कोई कार्रवाई हुई तो न्यायालय के दरवाजे खुले हैं। सच सबके सामने आकर रहेगा।