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ट्रेन टिकट में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट को लेकर काफी समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। कुछ महीने पहले ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली रियायत को खत्म करने का केंद्र सरकार की ओर से एलान किया था। इसके बावजूद देश के सीनियर सिटीजन उम्मीद बनाए हुए थे कि सरकार कुछ न कुछ रियायत दे सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। लेकिन इस बार भी सरकार ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई। संसद में रेल मंत्री द्वारा दिए गए जवाब ने सरकार का इरादा साफ तौर पर बता दिया है अब वरिष्ठ नागरिकों को रियायत नहीं मिलेगी। संसद के मानसून सत्र में रेल मंत्री ने दो टूक कह दिया कि अब सीनियर सिटीजन को ट्रेन टिकट पर मिलने वाली 50 प्रतिशत छूट नहीं दी जाएगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा कि किराये में छूट देने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। इसलिए इसे बहाल करने की कोई योजना नहीं है। कोरोना की वजह से जब ट्रेनें बंद की गई थीं, तब ये छूट भी खत्म कर दी गई थी। 2019-20 में किराये में छूट से रेलवे पर 1667 करोड़ रुपए का बोझ आया था।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज संसद में एक लिखित जवाब में बताया कि सीनियर सिटीजंस को किराए में छूट देने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। इसलिए इसे बहाल करने की कोई योजना नहीं है। केवल स्पेशल कैटगरी वाले लोगों को किराए में छूट की सुविधा दोबारा शुरू की गई है। इनमें चार श्रेणी के दिव्यांग, 11 कैटगरी के मरीज और और छात्र शामिल हैं। सीनियर सिटीजंस और खिलाड़ियों के साथ-साथ बाकी कैटगरी के यात्रियों के लिए यह सुविधा बहाल नहीं की गई है। रेलवे ने खिलाड़ी, ट्रांसजेंडर, युद्ध शहीद विधवा, सीनियर सिटीजन सहित 12 श्रेणियों के रियायती किराए को सिर्फ तीन श्रेणियों तक सीमित कर दिया। बता दें कि देश के वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन के किराए में 50 से 55 फीसदी की छूट मिलती थी, जो कि 2 साल से बंद है। लिहाजा सभी वरिष्ठ नागरिक रेल किराए में बिना किसी छूट के यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। रेलवे ने यह सुविधा मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण किए गए लॉकडाउन के दौरान स्थगित कर दी थी। तब से ही यह योजना बंद है। अब केंद्र सरकार की ओर से मना करने के बाद देश के सीनियर सिटीजन आम यात्रियों की तरह ही टिकट लेकर ट्रेन में सफर करना होगा।