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17वीं शताब्दी से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का भारत पर शासन रहा। अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान देश में कई घटनाएं हुई। उन्हीं में से वायसराय लॉर्ड कर्जन की विभाजनकारी नीति आज भी भारत में नासूर बनी हुई है। 20 जुलाई 1905 में आज के ही दिन भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल के विभाजन का एलान किया था। आखिरकार 16 अक्टूबर 1905 में बंगाल को दो हिस्सों में बांट दिया गया। लॉर्ड कर्जन के इस फैसले का पूरे देश में जबरदस्त विरोध हुआ।
दरअसल, बंगाल विभाजन के पीछे हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने की साजिश थी। अंग्रेजों ने मुस्लिम-बहुल पूर्वी हिस्से को असम के साथ मिलाकर अलग प्रांत बना दिया। दूसरी तरफ हिंदू-बहुल पश्चिमी हिस्से को बिहार और उड़ीसा के साथ मिलाकर पश्चिम बंगाल नाम दे दिया। अंग्रेज दोनों प्रांतों में दो अलग-अलग धर्मों को बहुसंख्यक बनाना चाहते थे। इस दिन को विरोध दिवस के रूप में मनाया गया और ढेरों जुलूस निकाले गए तथा हर तरफ वन्दे मातरम् के नारे गूँज उठे। दरअसल बंगाल का विभाजन जैसे पूरे देश को एक करने का काम कर गया और स्कूल कालेज से लेकर नुक्कड़ चौराहों पर विरोध प्रदर्शन किए गए।इस दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार की आंधी ने अंग्रेज सरकार को हिलाकर रख दिया। इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है।