
JOIN OUR WHATSAPP GROUP
दिल्ली पुलिस को जब एहसास हुआ कि लड़कियां वह भी काम कर सकती है जो अब तक लड़के करते आए हैं इसके बाद दिल्ली में एक नई रंग नज़र आई। फिर शुरु किया गया तेजस्विनि योजना। इस योजना के एक साल पूरे होने पर दिल्ली पुलिस ने एक आंकड़ा पेश किया है। दिल्ली पुलिस के अनुसार, पिछले एक साल में 52 महिला बीट कर्मियों ने छेड़छाड़ करने वालों, लुटेरों, डकैतों, स्नैचरों और ऑटो-लिफ्टर्स सहित 100 लोगों को गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उत्तर पश्चिम जिले में तैनात की गई 52 महिला सिपाही अपराध की रोकथाम के लिए पुरुष पुलिसकर्मियों संग मिलकर काम कर रही हैं। महिला पुलिसकर्मियों की तत्परता से सड़क पर होने वाले अपराध में करीब 37 फीसदी की कमी आई है। पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी ने इस विषय पर कहा कि बीट पर महिला पुलिसकर्मियों को तैनात करने के पीछे उद्देश्य महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में कमी लाने का था। तैनाती के बाद महिला पुलिसकर्मियों को बुजुर्गों ने बेटी समझकर अपनी समस्याएं बताईं, वहीं युवाओं ने दीदी समझकर अपनी परेशानियां साझा कीं।
North West Distt’s unique 'Tejaswini' initiative completes a year!
— Delhi Police (@DelhiPolice) July 12, 2022
It has led to decline in crimes against women as a result of sustained measures.#DelhiPolice lays special emphasis on women safety and security.@DCP_NorthWest pic.twitter.com/hhwsxUmHeK
महिला पुलिस की तत्परता इसी से समझी जा सकती है कि महिला पुलिसकर्मी 15 मामलों की जांच कर रही हैं। इनकी मदद से 5 लुटेरों, 3 झपटमारों, 4 वाहन चोर और छेड़खानी के 67 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। महिलाकर्मी अब तक करीब 200 शिकायतों का निपटारा कर चुकी हैं। एक साल पहले तेजस्विनी पहल के तहत संवेदनशील बीटों पर महिला कर्मियों की तैनाती की गई थी। महिला पुलिस की इस कामयाबी के जश्न को दिल्ली पुलिस भी पूरी तरह से भुनाने की कोशिश कर रही है। एक साल पूरा होने पर उत्तर पश्चिम जिला तेजस्विनी सप्ताह मनाएगी। इस दौरान महिला पुलिसकर्मी स्कूलों और कॉलेजों का दौरा कर महिलाओं को जागरूक करेंगी साथ ही आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगी।
जिले में महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा 243 वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं की मदद की गई है जबकि स्कूल और कॉलेज में लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए 13 शिविर लगाए गए। सड़क पर होने वाली घटनाओं को लेकर आने वाली पीसीआर कॉल में 23 प्रतिशत की कमी आई है जबकि महिलाओं से जुड़े मामलों में आने वाली पीसीआर कॉल में 31 प्रतिशत की कमी आई है।