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ऑल्ट न्यूज़, एक वेबसाइट जो छोटी बड़ी चर्चित खबरों की सत्यता की जांच करती है, लेकिन आज इसके को- फाउंडर मोहम्मद जुबैर की चर्चा हर जगह हो रही है। साथ ही यह जानने की कोशिश भी कि मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार करना कितना सच और कितना झूठ। मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस में पेश किया था। एक दिन की पुलिस कस्ट डी रिमांड पूरी होने पर उन्हेंप चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेसट स्िपुलग्धाि सरवारिया की अदालत में पेश किया गया।
पुलिस ने जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर की 5 दिन की और रिमांड मांगी। पुलिस का कहना था कि उनके खिलाफ अलग-अलग मामलों में अन्य FIR भी दर्ज हैं। लेकिन अपने बचाव में जुबैर ने कोर्ट में कुछ दलिलें भी रखीं हैं।
जुबैर ने कोर्ट के सामने पेश होने के बाद कहा कि फैक्ट चेक करना उनका पेशा है जिसके लिए हाई कोर्ट से उन्हें सुरक्षा मिली हुई है। जुबैर के अनुसार पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर 194/2020 में कहा गया है कि ट्वीट आपत्तिजनक नहीं है। साथ ही इसके साथ कोई एडिटिंग भी नहीं की गई है। उन्होंने कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को जल्दबाजी वाली गिरफ्तारी बताई है। गिरफ्तारी के पीछे जिस ट्वीट का कारण बताया जा रहा है वह ट्वीट किस बारे में है इसको समझा पाना मुश्किल है।
सोमवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जब मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया तो उनपर आईपीसी की धारा 153A (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर कोई काम करना) के तहत केस दर्ज किया गया है मतलब ये कि उन्हें कम से कम दो या तीन साल की सज़ा होगी। मोहम्मद जुबैर को जिस ट्वीट की वजह से गिरफ्तार किया गया है वह 2018 का है। एक फिल्म के ऊपर किया गया ट्वीट था जिसका नाम था ‘किसी से ना कहना’। फारुख शेख और दीप्ति नवल मुख्य भूमिका में थे। ऋषिकेश मुखर्जी की डायरेक्शन में बनने वाली यह फिल्म में एक सीन है जिसमें एक होटल दिखाया गया है, नाम हनीमून। इसी हनीमून को हनुमान करके जुबैर ने ट्वीट किया ‘2014 से पहले हनीमून होटल और 2014 के बाद हनुमान होटल।’
बस फिर क्या था इसके बाद दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर अरुण कुमार की शिकायत पर जुबैर खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई जिसमें उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर ‘हनुमान भक्त’ नाम के ट्विटर हैंडल ने जुबैर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया है। जबकि इस ट्वीटर हैंडल की एक और खास बात यह है कि जुबैर पर आरोप लगाना उसका पहला और आखिरी ट्वीट भी है। इसके बाद भले ही आगे हो सकता है लेकिन अभी तक के लिए आखिरी और पहला ट्वीट वही है।
नुपूर शर्मा और मोहम्मद जुबैर पर एक ही धारा के तहत केस दर्ज
भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा और मोहम्म जुबैर पर एक ही धारा के तहत केस दर्ज है जबकि परिणाम यह है कि मोहम्मद जुबैर जेल के सलाखों के पीछे हैं और नुपूर शर्मा को वही पुलिस प्रोटेक्शन दे रही है। मुंबई पुलिस ने दिल्ली पुलिस पर आरोप भी लगा चुकी है कि नुपूर शर्मा दिल्ली पुलिस की छाया में अंडरग्राउंड हो चुकी है और दिल्ली पुलिस उन्हें नुपूर शर्मा को खोजने में सहयोग नहीं दे रही है। दिल्ली पुलिस ने तो यह भी कहा है कि मोहम्मद जुबैर की फंडिंग की भी जांच होगी क्योंकि पिछले तीन महीनों में उनके बैंक खाते में 50 लाख रुपये क्रेडिट किए गए हैं। इसके अलावा जुबैर को काफी डोनेशन भी मिला है। इसलिए पुलिस इन सब तथ्यों की जांच करेगी।