

JOIN OUR WHATSAPP GROUP
बिहार की राजनीति को समझना हमेशा से हीं टेढ़ी खीर रही है। बिहार हमेशा से राजनीति में एक नया आयाम गढ़ता आ रहा है। ठीक सभी के आशाओं से परे जब पूरा देश इस समय महाराष्ट्र की राजनैतिक उठापटक में मशगूल दिख रहा था, जब बड़े बड़े राजनैतिक भविष्यवक्ता शिवसेना की भविष्य का आंकलन कर रहे थे। ठीक उसी समय बिहार में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला।



राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने असादुदीन ओवैसी को बड़ा झटका देते हुए उनकी बिहार में जमीन ही खिसका दी। बिहार में असादुदीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम (AIMIM) के कुल 5 विधायक थे, जिसमे से 4 विधायक शाहनवाज, मोहम्मद अंजार नईमी, मुहम्मद इजहार असफी और सैयद रुकनुद्दीन आज ओवैसी का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए।
तेजस्वी यादव खुद उन सभी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष तक ले गए और उन सभी को राजद में शामिल कराया।
पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह एआईएमआईएम ने आशा के विपरित बिहार में 5 सीट जीतकर सबको हैरान कर दिया था ठीक उसी प्रकार तेजस्वी यादव ने 4 विधायक को अपने पाले में ला ओवैसी को एक बड़ा झटका दिया है।
राजद बनी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी:
एआईएमआईएम के चार विधायकों के शामिल होते हीं राष्ट्रीय जनता दल बिहार के अब सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। पूर्व में राजद के पास कुल 76 विधायक थे जो की अब 80 हो गई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी जो की विधानसभा चुनाव के बाद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी उनके पास कुल 77 विधायक थे, अब दूसरे नंबर की पार्टी हो गई है।
बिहार में बदला राजनैतिक समीकरण:
राजनीतिक समीकरण को देखें तो बिहार में अगर कुछ राजनैतिक उठापटक होता है जिसकी पूरी आशंका है और अगर सरकार अल्पमत में आती है तो राज्यपाल संवैधानिक रूप से अब सबसे पहले तेजस्वी यादव को हीं सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे।