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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी में होने वाले दो दिवसीय जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होंगे। इस दौरान पीएम मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक और चर्चा भी करेंगे। इसके अलावा एक सामुदायिक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के लोगों के साथ संवाद भी करेंगे। 26 व 27 जून को होने वाले इस शिखर सम्मेलन में यूक्रेन-रूस युद्ध, हिन्द प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु सहित कई महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा होगी।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जर्मनी यात्रा से पहले पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि , भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना, सेनेगल को इस शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है। G7 में कुछ एजेंडा आइटम हैं जो उन देशों पर लागू होंगे। उन्होंने कहा, हमारा मकसद समान सिद्धांतों और पहलों वाले देशों को एकजुट करना है।
इसके अलावा जॉन किर्बी ने कहा कि , जी-7 जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा जैसे मामलों पर आगे बढ़ना चाहता है। उन्होंने कहा, मैंने पहले ही कहा है कि इस सम्मेलन का मकसद इन देशों को रूस से अलग करना नहीं है। बल्कि, समान एजेंडे वाले देशों को एक साथ लाना है।
क्या है जी-7 (G-7)

जी-7 (G-7) समूह दुनिया के सात सबसे अमीर देशों का समूह है जिसकी अध्यक्षता अभी जर्मनी कर रहा है। इस समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ईटली, जापान और अमेरिका शामिल है। इसमें अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को भी आमंत्रित किया गया है। शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था। लेकिन इसके अगले साल यानी 1976 में कनाडा भी इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया।
इस वर्ष इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू सहित कई अन्य शीर्ष नेता हिस्सा ले रहे हैं।