

भारतीय टेबल टेनिस प्लेयर्स हैं मानुष शाह और स्वस्तिका घोष। दोनों राष्ट्रीय टीम में जगह ना मिलने से इतने नाराज थे कि इन्होंने हाई कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा दिया था। लेकिन इस पूरे मामले को चुनौती देने वाली रिट याचिका सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी।
भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) का संचालन कर रही प्रशासकों की समिति (सीओए) ने इन दोनों को इस महीने घोषित राष्ट्रमंडल खेलों की अंतिम टीम में जगह नहीं दी जिससे नाराज मानुष और स्वस्तिका अदालत की शरण में पहुंचे थे।
मानुष के पिता उत्पल का कहना है कि हमारे वकील ने मुझे बताया कि हमारे मामले को खारिज कर दिया गया है। सीओए द्वारा तय किए गए पात्रता नियमों के अनुसार मानुष शीर्ष चार में थे लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें पुरुष टीम में जगह नहीं दी। पुरुष टीम में अनुभवी शरत कमल, जी साथियान, हरमीत देसाई, सानिल शेट्टी को शामिल किया गया है जबकि मानुष स्टैंडबाई होंगे।
जबकि उन्नीस साल की स्वस्तिका को मनिका बत्रा, दीया चितले, रीत रिष्या और श्रीजा अकुला की मौजूदगी वाली संशोधित महिला टीम में स्टैंडबाई रखा गया है। यही नहीं मनिका (39) के बाद 66वें स्थान के साथ भारत की दूसरी सर्वोच्च रैंकिंग वाली खिलाड़ी अर्चना कामथ भी भारतीय टीम से बाहर किए जाने के बाद अदालत की शरण में गई हैं।
कामथ के मामले की सुनवाई कर्नाटक उच्च न्यायालय में 22 जून को होगी। सीओए ने हालांकि इसके बाद अचानक उन्हें टीम से बाहर कर दिया और उनकी जगह दीया को दे दी। जबकि अर्चना को शुरुआत में ‘अपवाद’ के तौर पर टीम में शामिल किया गया था क्योंकि वह पात्रता नियम पूरे नहीं करती। दीया भी शुरुआत में टीम में जगह नहीं मिलने के बाद अदालत की शरण में गई थी। राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन बर्मिंघम में 28 जुलाई से आठ अगस्त तक किया जाना है।