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नई दिल्ली, 16 जून। पाकिस्तान के क्रिकेटर शाहिद अफरीदी हमेशा कुछ ना कुछ उल्टी सीधी बयान देकर खुद को सुर्खियों में लाने की कोशिश करते रहते हैं। जम्मू कश्मीर पर बोलना हो, भारत के बारे में बोलना हो या फिर अपने ही देश के खिलाड़ियों की क्लास लगानी हो, अफरीदी आपके बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं और इस बार उनके इसी बड़बोलेपन का शिकार हुए हैं भारत के पूर्व कप्तान और इंडियन रन मशीन विराट कोहली।
विराट कोहली का बल्ला पिछले कुछ सालों से खामोश रहा है। जिसको लेकर कई पूर्व क्रिकेटर ने बयान दिया है। उनके खेलने का स्टाइल, उनके शॉट सेलेक्शन और इन सब से परे उनके एटीट्यूड पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। शाहिद अफरीदी ने कहा है कि क्रिकेट में रवैया सबसे ज्यादा मायने रखता है। मैं सबसे ज्यादा उसी के बारे में बात करता हूं। क्या आपका क्रिकेट के प्रति जुनून है या नहीं? कोहली अपने करियर में पहले दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज बनना चाहते थे, लेकिन क्या वह अभी भी उसी प्रेरणा के साथ खेल रहे हैं? यह बड़ा सवाल है। विराट के पास क्लास है, लेकिन क्या वह वास्तव में फिर से नंबर एक बनना चाहते हैं? या विराट को लगता है कि उन्होंने जीवन में सब कुछ हासिल कर लिया है। क्या अब वह बस आराम करना चाहते हैं और टाइम पास कर रहे हैं?
शाहिद अफरीदी का यह कहना कि विराट कोहली अब खेलने के लिए नहीं बल्कि टाइम पास करने के लिए क्रिकेट खेल रहे हैं। इस बात पर भारतीय फैन्स गुस्सा हो सकते हैं। हालांकि विराट के फॉर्म को लेकर पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर भी कह चुके हैं कि विराट को ताजा तरीन होने के लिए एक ब्रेक लेना चाहिए। जिसपर विराट ने कहा था कि वह एक छुट्टी लेने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि वर्तमान कप्तान रोहित शर्मा से जब पूछा गया कि कोहली का आत्मविश्वास खत्म हो गया है जिसपर उन्होंने हसते हुए कहा था कि अगर कोई ऐसा कहता है तो वह पागल है क्योंकि विराट खुद पूरी टीम को आत्मविश्वास देते हैं और उन्हें आत्मविश्वास की क्या जरूरत है।
विराट ने इस साल 3 टेस्ट की पांच पारियों में महज 189 रन बनाए हैं जिसमें सर्वाधिक स्कोर 79 रन का रहा है। 6 वनडे मैच खेलने के बाद 23 की औसत से उनके खाते में 142 रन हैं जिसमें 65 रन उनकी सबसे बड़ी पारी रही है। टी20 की बात करें तो 2 मैच में 69 रन बनाए हैं। आइपीएल के 15वें सीजन में 16 मैच खेलने के बाद कोहली ने 341 रन बनाए जिसमें 3 बार गोल्डन डग के शिकार हुए और उनका औसत 22 का रहा।