एमसीडी ने दिल्ली को कचरा मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार से मांगे 1800 करोड़

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नई दिल्ली, 11 जून। दिल्ली एमसीडी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार से 1800 करोड़ रुपये की मांग की है। यह राशि मौजूदा समय में गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट को साफ करने के लिए मांग की गई है। अभी हाल ही में दिल्ली के नए नवेले उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने जिम्मेदारी संभालने के बाद लैंडफिल साइट की सफाई को पहली प्राथमिकता के तौर पर स्वीकार किया है। उपराज्यपाल ने 30 मई को गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया और 4 जून को ओखला लैंडफील्ड का दौरा कर एमसीडी से कचरा खत्म करने का एक्शन प्लान मांगने पर एमसीडी द्वारा दिये गए एक्शन प्लान से एलजी संतुष्ट नहीं हुए। अब उन्होंने एमसीडी को सालभर के भीतर लैंडफिल साइट को समाप्त करने का एक्शन प्लान तैयार करने के लिए कहा है।
एमसीडी अधिकारियों के मुताबिक 1800 करोड़ में से केंद्र सरकार ने 775 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को दे दिए हैं। एमसीडी को दिल्ली सरकार के माध्यम से पैसा मिलता है। ऐसे में दिल्ली सरकार से एमसीडी को उस पैसे में से अभी 174 करोड़ रुपये देने पर सहमति बनी है, जिसमें से केवल 90 करोड़ रुपये अभी तक मिले हैं।
अगर पूरी दिल्ली की बात करें तो 10000 मीट्रिक टन प्रतिदिन कचरा निकलता है। इसमें से करीब 2000 मीट्रिक टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर जाता है, जबकि 6000 मीट्रिक टन कचरा भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट पर भेजा जाता है। कचरे से निकलने वाली मिट्टी को इस वक़्त भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ले रहा है और उसे अपने मीठापुर और द्वारका की अपनी साइट पर सड़कों की भराई में इस्तेमाल कर रहा है। इसके अलावा एनटीपीसी ने एनएचएआई को पौधरोपण करने के लिए जगह दी है। इस गहरी जगह को समतल करने के लिए भी इस मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है।
एमसीडी ने करीब 85 लाख मीट्रिक टन इनर्ट रखने के लिए डीडीए से जमीन मांगी है। डीडीए से इसको लेकर बातचीत जारी है। इसके अलावा दिल्ली एनसीआर के भवन निर्माण से जुड़े ठेकेदारों से भी संपर्क किया जा रहा है। वह इस मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं। नीगम एकीकरण के बाद एमसीडी का अधिकार अब पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथों में चला गया है। चाहे वह बजट देने की बात हो या फिर अन्य कोई विकास कार्य, उसके लिए एमसीडी अब दिल्ली सरकार पर निर्भर नहीं है। ऐसे में अगर एमसीडी के कार्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार की लेकिन आता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। जबकि पहले केजरीवाल सरकार और नीगम एक-दूसरे पर अपनी लापरवाही का ठिकड़ा फोड़ते रहे हैं।