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नई दिल्ली। 26 जून 1999, मिल्टन किन्स का हरा भरा मैदान जहां एक छोटी सी 16 साल की बच्ची आयरलैंड की गेंदबाजी का हिसाब ले रही थी। 16 साल की उम्र में पहला वनडे मैच खेल रही इस बच्ची के अंदर उतनी एकाग्रता, शॉट सेलेक्शन में समझदारी और बेहतरीन टाइमिंग देख सब हैरान थे। मानों गेंद खुद ब खुद बल्ले से टकराकर बॉउंड्री तक जा रहा हो। उस बच्ची की एकाग्रता और समझ परिचय दे रही रही थी कि आखिर किस परिवेश में उसका बचपन गुजरा है। और अगर यही अनुशासन एक भारतीय वायुसेना के अधिकारी से मिला हो तो फिर बाकी सवालों के जवाब अपने आप मिल जाते हैं।

आयरलैंड के खिलाफ अपने पहले वनडे मैच में नाबाद 114 रनों की पारी खेलकर अपनी सल्तनत की शुरुवात करने वाली वह 16 साल की बच्ची कोई और नहीं बल्कि तमिल परिवार से तालुक्क रखने वाली दोराज राज और लीला राज की बेटी मिताली राज थी।


देश जब डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की जन्मजयंती मना रहा था तो मिताली का जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ। बचपन दो सपनो के साथ जीना शुरू किया पहला डांस तो दूसरा क्रिकेट। आठ सालों तक शास्त्रीय डांस की शिक्षा लेने के बाद जब एक दिन स्कूल टीचर ने कहा कि किसी एक करियर पर ध्यान दो या तो नृत्य या फिर क्रिकेट। फिर क्या था, मिताली ने सिर्फ क्रिकेट ही नहीं चुनी बल्कि उन्होंने उन सभी लड़कियों को उड़ने के लिए एक पंख भी दे दिया जो कुछ कर गुजरने की चाह दिल में दबाएं घर की चार दिवारी पर घूंट रही थीं।


हैदराबाद के सेंट जोह्न्स स्कूल में मिताली ने अपने भाई के साथ पढ़ाई की और साथ ही शुरू की क्रिकेट सीखने और खेलने का सफर। इस सफर का सबसे अहम दौर आया साल 2001-02। सामने साउथ अफ्रीका टीम और मौका टेस्ट मैच खेलने का। एक क्रिकेटर के तौर पर सबसे खूबसूरत सपना होता है टेस्ट क्रिकेट खेलना। हालांकि उस मैच में कुछ ख़ास नहीं कर पाई मिताली को लेकर कई लोगों ने टेस्ट खेलाने के बीसीसीआई के फैसले को जल्दबाजी करार दिया। लेकिन मिताली को तो एक नई उड़ान भरनी थी और वह यहां कैसे रुकती। अपने महज तीसरे टेस्ट में मिताली ने दोहरा शतक ठोक कर विश्व क्रिकेट के सामने एक जबरदस्त दस्तक दिया। 214 रनों की पारी खेल मिताली ने बताया कि वह क्रिकेट पर राज करने आई हैं। और लगातार 5 वर्ल्ड कप खेलना अपने आप मे उनका क्रिकेट पर आधिपत्य को दर्शाता है।

मिताली ने क्रिकेट पर जो राज किया उसके पीछे कई राज छुपे हैं। उनका मैच से पहले किताबें पढ़ना भी उसका एक हिस्सा है। किताब पढ़ने की इतनी शौकीन हैं कि जब वर्ल्ड कप में किंडल ले जाना बैन हो गया तो मिताली ने कोच से ही किताब उधार मांग ली थी। लेकिन किताबों को पढ़ने वाली मिताली ने अपने 23 सालों के क्रिकेट करियर में इतना कुछ अचीव किया है कि एक उपन्यास तक लिखना मुश्किल नहीं होगा।

मिताली राज अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली महिला खिलाड़ी है। वह एक मात्र ऐसी महिला क्रिकेटर है, जिसमें वन डे क्रिकेट में 6000 से अधिक रन बनाए है। साथ ही उनका टेस्ट बनाया गया 214 रनों की पारी किसी भी महिला क्रिकेटर की अब तक कि सबसे लंबी पारी है। इतना ही नहीं इसके अलावा मिताली लगातार 7 मैचों में अर्धशतक लगाने वाली पहली खिलाड़ी है। मिताली राज की कप्तानी भारतीय क्रिकेट टीम 2 बार वनडे में आईसीसी वर्ल्ड कप का फाइनल खेल चुकी है। साल 2005 और 2017 में टीम ने वर्ल्ड कप फाइनल का सफर तय किया था।





क्रिकेट के चाहने वाले मिताली को वूमेन्स क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर कहते हैं लेकिन यह तुलना गलत है। क्योंकि अगर सचिन तेंदुलकर जो क्रिकेट के भगवान कहे जाते हैं उनका अपना एक इतिहास है वैसे ही मिताली ने भी अपनी वजूद खुद लिखी हैं। इसलिए इसको किसी की परछाई बनाकर तुलना शायद ठीक नही है। मिताली राज ने अपने बेहतरीन खेल के दम पर साल 2010, 2011 और 2012 में आईसीसी द्वारा जारी रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया। भारत सरकार ने साल 2003 में अर्जुन अवार्ड तो साल 2015 में मिताली राज को पद्मा श्री से सम्मानित किया था। मिताली के करियर की शुरुवात और उनके क्रिकेट करियर के एक शानदार खिलाड़ी के तौर पर अंत का जो बदलाव है वह साफ दिख रहा है। पहले जब मिताली खेलने जाती तो लोग हॉकी प्लेयर समझते थे क्योंकि क्रिकेट मतलब सिर्फ लड़को का खेल। और आज खुद गार्जियन अपनी लड़कियों को क्रिकेट अकादमी में एडमिशन कराने ले जा रहे हैं

मिताली ने जब क्रिकेट खेला तो खूब खेला और 214 वनडे क्रिकेट मैच की 193 परियों में 51.06 की एवरेज से 7098 रन बनाए। इस बेस्ट 125 रन रहा है। मिताली राज ने 10 टेस्ट क्रिकेट मैच की 16 परियों में 51.00 की एवरेज से 663 रन बनाए है जबकि बेस्ट 214 रन रहा है। 89 टी-20 क्रिकेट मैच की 84 परियो में 37.52 की एवरेज और 97 रन बेस्ट स्कोर के साथ 2364 रन बनाकर सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी महिला क्रिकेट का स्वरूप बदल दिया।

जिस खूबसूरत मैसेज के साथ उन्होंने अपने फैंस को थैंक्यू किया वह भी लोगों को यादगार रहेगा। हालांकि क्रिकेट प्रेमी को इस बात का अफसोस हमेशा रहेगा कि मिताली ने एम एस धोनी की तरह ही बिना कोई रिटायर्ड फेयरवेल मैच खेले क्रिकेट को गुड बाय बोल दिया।