वातावरण को हरा-भरा बनाने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आओ प्रकृति की करें देखभाल

साफ आबोहवा, खुशहाल वातावरण और हरे-भरे पेड़ लोगों को ऑक्सीजन देने का काम करते हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही पूरे देश ने कोरोना की दूसरी लहर में मनुष्यों को ‘ऑक्सीजन’ का महत्व समझ में आ गया है । इसके बावजूद पर्यावरण को हरा-भरा बनाने में समाज में जागरूकता का अभाव बना हुआ है ।कोरोना महामारी को लेकर लगाए गए लॉकडाउन से अगर सबसे अधिक फायदा जिसे हुआ है वह है पर्यावरण को । भले ही इस दौरान देशवासियों को घरों में रहना पड़ा हो लेकिन पर्यावरण खुश दिखाई दिया। आज बात पर्यावरण को लेकर ही होगी। आज 5 जून को ‘विश्व भर में पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है। स्वच्छ साफ पर्यावरण हमें स्वस्थ बनाता है । मनुष्य के लिए प्रकृति की भूमिका हमेशा से अग्रणी रही है । पर्यावरण के बीच हमारा गहरा संबंध है, मनुष्य भी पर्यावरण और पृथ्वी का एक हिस्सा ही हैं । प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं है । ‘भौतिक युग में लोग इसकी अनदेखी करते चले जा रहे हैं, प्रकृति जब-जब रूठी है, इसका प्रभाव सीधे हमारे ऊपर पड़ा है’ । मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया हैै कि वह प्रकृति को तभी याद करता है जब उसको जरूरत रहती है । हम अपने पर्यावरण को सहेजने में कभी ‘गंभीर’ नहीं रहे । लोग स्वार्थ के लिए पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं, पेड़ काट रहे हैं । जिसके नतीजे यह रहे कि वातावरण दूषित होता चला गया । हालांकि यह समस्या भारत की ही नहीं है बल्कि विश्व के तमाम ऐसे देश है जो प्रदूषण की वजह से ‘बेहाल’ हैं । बढ़ते प्रदूषण की वजह से इसका सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ रहा है । हमें प्रकृति के साथ ‘तालमेल’ बिठाना होगा। प्रकृति जब बिगड़ती है तब वह इंसानों को संदेश भी देती है कि अभी भी मौका है संभल जाओ । विश्व पर्यावरण दिवस को तब ही सफल बनाया जा सकता है जब हम पर्यावरण का ख्याल रखेंगे। हर व्यक्ति को ये समझना होगा कि जब पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी धरती पर जीवन संभव है। यहां हम आपको बता दें कि विश्व पर्यावरण दिवस के लिए हर साल एक ‘थीम’ रखी जाती है। इस साल की थीम है ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’। शहर-गांव को हरा-भरा करके, पेड़ लगाकर, जगह-जगह बगीचे बनाकर, नदियों और समुद्र की सफाई करके पारिस्थितिक तंत्र की बहाली की जा सकती है। प्रकृति को बचाना हर इंसान का कर्तव्य है और प्रकृति को बचाने के लिए सिर्फ एक अकेला व्यक्ति काफी नहीं है, इसलिए हम सभी को साथ आकर समय रहते एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण के लिए काम करना चाहिए।
देश में लगाए गए लॉकडाउन से पर्यावरण में दिखाई दी खुशहाली—

लॉकडाउन में पर्यावरण सबसे अधिक खुशहाल रहा ।केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय भी करोड़ों रुपये खर्च करके वह काम नहीं कर सका जो लॉकडाउन ने कर दिया । लोगों के घरों पर रहने और वाहनों की आवाजाही बंद होने से पर्यावरण को जैसे बैठे-बैठाए ऑक्सीजन मिल गई। इस महामारी से पर्यावरण पर अनुकूल प्रभाव पड़ा, देश में प्रदूषण का स्तर भी घट गया । लॉकडाउन के चलते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम हुआ और इससे हवा भी शुद्ध-साफ होने से पर्यावरण में भी हरियाली छा गई । यही नहीं हमारे देश की गंगा, यमुना समेत कई नदियों का पानी भी स्वच्छ हो गया । इससे पहले लोग नदियों में कचरा फेंक देते थे, लेकिन लॉकडाउन में लोग घरों से नहीं निकल पाए थे । आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आओ हम संकल्प ले की पुरानी गलतियों को नहीं दोहराएंगे, हर रोज कुछ समय अपनी प्रकृति की भी चिंता करेंगे और इसे हरा भरा बनाने का पूरा प्रयास करेंगे । अभी भी हमारे पास समय है इसे हम सहेज लें, कहीं ऐसा न हो जब तक हम जागे, देर हो जाए । पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत समेत विश्व भर में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं । बता दें कि कुछ इस प्रकार शुरू हुई थी विश्व पर्यावरण बनाने की शुरुआत । 70 के दशक में विश्व में प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही थी। इंसानों ने अपनी सुविधाओं के लिए संसाधनों का निर्माण किया, जिससे पर्यावरण पर बुरा असर हुआ । इसके बाद प्रकृति की देखभाल करने के लिए ‘वैश्विक मंच’ बनाया गया । संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1972 में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। लेकिन विश्व स्तर पर इसको मनाने की शुरुआत 5 जून 1974 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी। जहां 119 देशों की मौजूदगी में पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। साथ ही प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का गठन भी हुआ था। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य रहता है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना । आइए इस मौके पर पौधे लगाएं और प्रकृति को स्वच्छ बनाएं जिससे हमारे वातावरण में चारों ओर हरियाली दिखाई दे।