दिल्ली दंगों के दोषी शाहरुख के पेरौल पर जेल से छूटते ही उसके पीछे की भीड़ आखिर क्या जताना चाहती है?

JOIN OUR WHATSAPP GROUP
दिल्ली की जब भी बात होगी,लोगों के जेहन में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों का ख्याल आना स्वभाविक है। एक ऐसा मंजर जिसको याद करके लोगों की रुह कांपने लग जाती है और जब उसमें याद आता है एक शख्स जो बीच सड़क पर पुलिस पर तमंचा ताने ऐसे लहरा रहा था जैसे मानों डर उसके जेहन से काफी दूर है। शख्स का नाम शाहरुख है जो अभी-अभी अपने पिता के बिमार होने पर उनसे मिलने के लिए चार घंटों की पेरौल पर जेल से बाहर निकला है।
पेरौल से बाहर आने पर शाहरुख का जिस तरह से स्वागत किया गया वह तस्वीर दिल्ली के लिए कही से भी सही नहीं है। एक कुख्यात अपराधी जिसपर पुलिस ने कई धाराओं में केस दर्ज किया है, जो खुलेआम पुलिसवालों पर गोलियां चलाता है और उसके सपोर्ट में दिल्ली के जाफराबाद-मौजपुर क्षेत्र में हज़ारों की भीड़ जेल से उसके घर तक उसके पीछे हुजूम बनकर खड़ी है।
एक धार्मिक भावना के साथ-साथ दंगे को भड़काने और पुलिसकर्मियों पर सीधा गोली तानने वाले शाहरुख पठान पर धारा 147, 148, 149, 186, 188 के तहत आरोप तय किए गए हैं। जिस संप्रदायिक हिंसा को लेकर ये धाराएं दर्ज किए गए थे उसमें 53 बेकसूर लोगों की जान चली गई थी जबकि 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन सिर्फ चार घंटे के लिए पैरोल पर जेल से बाहर आया शाहरुख पठान जब अपने इलाके में पहुंचा तो लोगों की भीड़ उसके स्वागत के लिए टूट पड़ी। एक ओर जहां पुलिस उसके आगे चल रही थी वहीं उसके समर्थकों की भारी भीड़ उसके पीछे-पीछे चल रही थी। आखिर यह भीड़ एक ऐसे आरोपी के पीछे जाकर क्या बताने की कोशिश कर रही है। यह सवाल आज दिल्ली की राजनीति से लेकर समाजिक गलियारों में बना हुआ है।